शेयर बाजार में उठा पटक के बीच घरेलू और वैश्विक बाजारों में बेचैनी, बीएसई स्मॉलकैप में दर्ज़ हुई बड़ी गिरावट

पिछले नौ महीने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों  की बिकवाली जारी है.जुलाई के महीने में इनकी रफ्तार थोड़ी कम जरूर हुई है.शेयर बाजारों में गिरावट के बीच इस साल छोटी कंपनियों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों से कमजोर नजर आ रहा है.

एफपीआई  ने जुलाई के महीने में अब तक केवल 4000 करोड़ रुपए की बिकवाली की है.इक्विटीमास्टर के सह-प्रमुख (शोध) राहुल शाह ने कहा, यह एक ऐसा बाजार है जहां गुणवत्ता और वृद्धि को इनाम मिलता है जबकि ऊंचे मूल्यांकन और खराब गुणवत्ता को खारिज कर दिया जाता है.

ऐसे में मौजूदा खराब दौर में इनमें कहीं अधिक ‘करेक्शन’ सामान्य बात है. भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति की चिंताओं और विदेशी फंड्स की जबरदस्त बिकवाली के बीच इस साल शेयर बाजारों को कई प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना पड़ा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि ‘अच्छे समय’ में छोटी कंपनियों के शेयर ‘लार्ज कैप’ की तुलना में ज्यादा चढ़ते हैं. ऐसे में मौजूदा खराब दौर में इनमें कहीं अधिक ‘करेक्शन’ सामान्य बात है. भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति की चिंताओं और विदेशी कोषों की जबर्दस्त बिकवाली के बीच इस साल शेयर बाजारों को कई प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना पड़ा है.

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