जेलेंस्की पर मंडराया दुनिया का ‘कॉमेडियन राष्ट्रपति’ होने का खतरा; यूक्रेन के खनिज पर ट्रंप की नजर

क्या यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की सच में एक ‘कॉमेडियन राष्ट्रपति’ साबित होने वाले हैं? पेशे से जेलेंस्की एक कॉमेडियन रहे हैं और उन पर ‘दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। यूरोप यूक्रेन और जेलेंस्की को लेकर चिंतित जरूर है लेकिन किसी देश के पास कोई उपाय नहीं है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अमेरिका के अपने समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप से मिलकर यूक्रेन के युद्ध से बाहर आने के लिए सम्मानजनक रास्ते की मांग की है। जबकि पुतिन और ट्रंप मुस्करा रहे हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप कभी भी यूक्रेन-रूस युद्ध के पक्ष में नहीं रहे। इसको लेकर जेलेंस्की की भूमिका को लेकर वह उन पर कॉमेडियन होने का तंज कसते रहे हैं। वह अभी जेलेंस्की को तानाशाह कहते हैं। ट्रंप ने इसी तरह के बयानों से पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के नीतियों की कड़ी ओलोचना की थी। राष्ट्रपति चुनाव प्रचार में भी उन्होंने अमेरिका के लोगों से वादा किया था कि वह सत्ता में आए तो रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवा देंगे। मंडरा रहे आर्थिक मंदी के खतरे से दुनिया को बाहर ले आएंगे। अपने देश को ग्रेट अमेरिका बनाएंगे। राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने बारी-बारी से नाटो संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पेरिस के जलवायु परिवर्तन समझौते को झटका देना शुरू किया। यूक्रेन को भी झटका दे दिया और तत्काल प्रभाव से अमेरिका की सहायता पर रोक लगा दी।

बाइडन की नीति को ट्रंप ने उल्टा लटकाया
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन जिस यूक्रेन को खाद पानी दे रहे थे और नाटो संगठन के सहयोग, यूरोप के साथ के बल पर राष्ट्रपति जेलेंस्की रूस से लड़ रहे थे, राष्ट्रपति ट्रंप की टीम ने उस नीति को उल्टा लटका दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूरोपीय संघ की ओर से यूक्रेन पर हमले के लिए रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया गया था। इस प्रस्ताव पर अमेरिका ने रूस का साथ देते हुए मतदान किया। यूक्रेन को उसके हाल पर छोड़ दिया। ब्रिक्स के सदस्य देश भारत-चीन समेत 65 देशों ने रूस के पक्ष में रुख अपनाते हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

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