ये महिला ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए कर रही सराहनीय कार्य, पति भी दे रहा साथ
हर कोई उन्नति करना चाहता है लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो दूसरों की मदद और असहायों का सहारा बनने के लिए अपना पूरा जीवन बिता देते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जरूरतमंदों को उस काबिल बनाने का मार्ग अपनाते हैं, जिससे जरूरतमंदों को किसी की जरूरत न पड़े और वह खुद ही आत्मनिर्भर बन सकें। ऐसी ही एक महिला पश्चिम बंगाल में रहती हैं।
पौलमी नंदी ने समझा ग्रामीण महिलाओं का दर्द
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में रहने वाली पौलमी चाकी नंदी और उनके पति अनिर्बान नंदी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर में पढ़ाई कर रहे थे। तभी उन्हें गांवों की मजदूर महिलाओं और बच्चों की मुश्किलों के बारे में पता चला। उन्हें ऐसे इलाकों के बारे में जानने का मौका मिला जहां रोजगार के कोई साधन नहीं हैं। ज्यादातर महिलाएं अशिक्षित मजदूर हैं और पुरुष सालों से सिर्फ पारंपरिक कामों से जुड़े हुए हैं। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि बच्चों की पढाई पर तो कोई ध्यान ही नहीं दे पाता है।
महिलाओं को रोजगार देने के लिए सेनेटरी पैड बनाने की दी सीख
ऐसे में पौलमी और अनिर्बान ने इन लोगों का जीवन संवारने के लिए काम करने की ठान ली। इसके लिए दोनों ने ‘जीवन को खुशी से जीओ’ नाम से संगठन बनाया और बच्चों एवं महिलाओं को जागरूक करना शुरू किया। दोनों ने गांवों के लोगों को आत्मनिर्भर होने के फायदे गिनाए और शिक्षा के महत्व को समझाया। फिर महिलाओं को रोजगार देने के लिए सेनेटरी पैड बनाना और उसके बाजार तैयार करना सिखाया। इसके साथ ही उन्होंने मशरूम की खेती भी सिखाई।
बच्चों के लिए मोबाइल लाइब्रेरी की शुरुआत
उनके इस कार्य से महिलाएं आत्मनिर्भर बनीं और आज आठ हजार से ज्यादा महिलाएं स्वयं सहायता समूह में काम कर रही हैं। बच्चों को शिक्षित करने में पौलमी और अनिर्बान लाइब्रेरी की शुरुआत की। इस लाइब्रेरी में लगभग 5,200 किताबें हैं, जिनको वे उत्तर बंगाल के 30 गांवों में ले जाते हैं।
जरूरतमंद बच्चों को 10 रुपये में ट्यूशन की व्यवस्था
ये मोबाइल लाइब्रेरी न केवल किताबें, बल्कि जरूरतमंद बच्चों को 10 रुपये में ट्यूशन भी प्रदान करती है, जिसमें सभी विषयों के साथ बोलचाल की अंग्रेजी और कंप्यूटर भी सिखाया जाता है। इस कार्य के दौरान पौलमी और अनिर्बान को अमेरिका में पोस्ट- डॉक्टरेट करने का भी मौका मिला, लेकिन उन्होंने ग्रामीणों के जीवन को संवारने के लिए इस ऑफर को ठुकरा दिया।