उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के लिए राहत भरी खबर, होने जा रहा ऐसा…
उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद उन कैदियों के लिए राहत भरी खबर है, जो सजा के 14 वर्ष पूरे कर चुके हैं या जिनकी उम्र 60 वर्ष या अधिक है। सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में कैदियों की भरमार और उनकी सुनवाई न होने को देखते हुए यूपी सरकार को इनकी रिहाई पर विचार का आदेश दिया है।
यूपी में सात हजार से ज्यादा कैदी ऐसे हैं, जो दस वर्ष से ज्यादा समय से जेलों में हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार दंड विराम (धारा 433 ए के तहत) कमेटी बनाकर ऐसे मामलों को स्वत: विचार के लिए ले।
कोर्ट ने यह निर्देश स्वत: संज्ञान पर लिए गए मामले में दिया। हाल में सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में एक मामला लाया गया, जिसमें हाई कोर्ट ने जमानत पर सुनवाई से इनकार कर दिया क्योंकि वकील तैयारी से नहीं आए थे। कोर्ट मामले को शीघ्र निपटाना चाहता था, क्योंकि आरोपी 17 वर्ष से जेल में था। कोर्ट ने यह निर्णय कैदियों की सुध लेने वाला नहीं होने, निर्धनता, वकीलों के पेश नहीं होने के चलते लिया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में पौने दो लाख से ज्यादा आपराधिक अपील लंबित हैं। यूपी में यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर इसे अन्य राज्यों में लागू किया जा सकता है। हाई कोर्ट में जजों की अधिकृत संख्या 160 है, लेकिन 67 पद रिक्त हैं।
इस मामले में जेल प्रशासन की भूमिका अहम है, क्योंकि जेलर को पता होता है कि किस कैदी ने कितनी सजा काट ली है और किसी उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है। इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह 14 साल की सजा पूरी कर चुके और बुजुर्ग कैदियों की सूची तैयार कराए। साथ ही उनके मामले में त्वरित रिहाई के लिए राज्य प्रिजन रिलीज कमेटी को भेजे।