तेजी से बदल रहे भारतीय परिवारों को लेकर न्यायाधीश ने जताई चिंता, कहा- समाज पर पड़ रहा असर

बंगलूरू: सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बी वी नागरत्ना ने शनिवार को तेज से बदल रहे भारतीय परिवारों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इन बदलावों का असर न केवल परिवारों की संरचना और कार्यप्रणाली पर पड़ रहा है, बल्कि कानून-व्यवस्था पर भी ये बदलाव गहरा असर डाल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह बदलाव कई कारणों से हो रहे हैं, जिनमें आम शिक्षा तक आसान पहुंच, शहरों की ओर बढ़ता रुझान, व्यक्तिगत आकांक्षाओं से लेकर कार्यबल की अधिक गतिशीलता और शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रात शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कानून ने भी इस बदलाव में मदद की है।
हर सभ्यता में परिवार समाज की सबसे जरूरी संस्था
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने बंगलूरू में ‘परिवार: भारतीय समाज का आधार’ विषय पर दक्षिणी क्षेत्र क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर सभ्यता में परिवार को समाज की सबसे जरूरी संस्था माना गया है, जो हमारे अतीत और भविष्य को जोड़ता है। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा और रोजगार के जरिये महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक आत्मनिर्भरता को समाज द्वारा सकारात्मक रूप से देखा जाना चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाएं न केवल परिवार की भलाई में बल्कि राष्ट्र की भलाई में भी योगदान देती हैं।
दो बातों पर ध्यान देकर सुलझाए जा सकते हैं पारिवारिक विवाद
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि भारत में वर्तमान में न्यायालयों में लंबित पारिवारिक विवादों की संख्या बहुत ज्यादा है। ये तभी सुलझ सकते हैं, जब दोनों पक्ष दो बातों पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि इन बातों में पहला कदम यह है कि दोनों एक दूसरे के प्रति समझ और सम्मान रखें और दूसरा खुद के प्रति जागरूक हों। सुप्रीम कोर्ट की पारिवारिक न्यायालय समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि पति पत्नी को एक दूसरे के दृष्टिकोण और तर्क से समझने का सक्रिय प्रयास करना चाहिए। इससे विवाद को बढ़ाने के बजाय दोनों के बीच जुड़ाव बनाने में मदद मिलेगी।