आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स ने नहीं माना सुप्रीम कोर्ट का आदेश, मांगें पूरी होने तक काम पर नहीं लौटेंगे
कोलकाता: चिकित्सक दुष्कर्म और हत्या मामले में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स ने शाम 5 बजे तक ड्यूटी पर लौटने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं माना है। उनका कहना है कि मांगें पूरी होने तक डॉक्टर्स काम पर नहीं लौटेंगे। इससे पहले सोमवार को शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टर्स को मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि काम पर लौटने पर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट में यह आश्वासन दिया था कि काम पर लौटने पर प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई या तबादले नहीं किए जाएंगे।
आंदोलनकारी डॉक्टर्स में से एक ने कहा कि हमारी मांगें पूरी नहीं होने पर हम काम बंद करना जारी रखेंगे। हमने राज्य सरकार से कोलकाता पुलिस आयुक्त, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक और चिकित्सा शिक्षा के निदेशक को शाम 5 बजे तक हटाने के लिए कहा था। हम चर्चा के लिए तैयार हैं। जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार कक्ष में महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु का शव मिलने के कुछ घंटों बाद ही अपना ‘काम बंद’ शुरू कर दिया था।
संदीप घोष की न्यायिक हिरासत बढ़ाई गई
इस बीच आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को मंगलवार को वित्तीय अनियमितताओं के मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत ने 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। कोर्ट ने उनके सुरक्षाकर्मी अफसर अली और दो कथित सहयोगियों, ठेकेदार वेंडर बिप्लब सिन्हा और सुमन हाजरा को भी 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
सीबीआई ने अदालत से कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह फिर से उनकी हिरासत की मांग करेगी। आरजी कर एमसीएच में डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के विरोध के बीच संदीप घोष को 2 सितंबर को वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। 3 सितंबर को अदालत ने उन्हें आठ दिनों की सीबीआई हिरासत में भेज दिया था।