NAAC की ग्रेडिंग पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पारदर्शिता को लेकर शिक्षा मंत्रालय और UGC से मांगा जवाब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों को ग्रेड देने वाली संस्था राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर उठाए गए सवालों पर शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी और एनएएसी से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह आदेश एक एनजीओ बिस्ट्रो डेस्टिनो फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। बता दें कि बिस्ट्रो डेस्टिनो फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि एनएएसी की ग्रेडिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए।
याचिका में एनएएसी की ग्रेडिंग प्रणाली पर सवाल
बिस्ट्रो डेस्टिनो फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका में एनएएसी की ग्रेडिंग प्रणाली पर कई सारे सवाल खड़े किए गए है। याचिका में कहा गया है कि एनएएसी की मौजूदा ग्रेडिंग प्रणाली में कई बड़ी खामियां हैं। कॉलेज और विश्वविद्यालयों को ग्रेड देने में निष्पक्षता नहीं दिखाई देती और पारदर्शिता की भी कमी है। याचिका में यह भी बताया गया कि 1 फरवरी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एनएएसी के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था, जिससे संस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते 9 अप्रैल को दिए अपने आदेश में कहा था कि हम इस मामले की गहराई से जांच करना चाहते हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम समझना चाहते हैं कि एनएएसी कैसे काम करता है। कोर्ट ने अपनी इस टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता को जरूरी दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी जाती है।
क्या है एनएएसी, समझिए
अब बात अगर एनएएसी की करें तो एनएएसी की स्थापना 1994 में की गई थी। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के तहत एक स्वायत्त संस्था है, जो देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उनके शैक्षणिक स्तर, रिसर्च, बुनियादी ढांचे और वित्तीय व्यवस्था के आधार पर ग्रेड देती है। हालांकि पिछले कुछ समय से इसके पारदर्शिता पर उठ रहे सवाल को देखते हुए अदालत ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, यूजूसी और एनएएसी से इस याचिका पर जवाब मांगा है और पूरे मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है।