श्रीलंका मानवाधिकार संस्था ने रोहिंग्याओं से मिलने से मना करने पर जताई नाराजगी, राष्ट्रपति को लिखा पत्र
श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीएसएल) ने राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने शिकायत की है कि उन्हें पिछले हफ्ते से एक सैन्य शिविर में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। मानवाधिकार के पत्र के अनुसार, 26 दिसंबर को मानवाधिकार आयोग के एक निदेशक समेत अधिकारियों की एक टीम ने उत्तरी प्रांत के मुल्लैतिवु में मौजूद श्रीलंका वायु सेना शिविर में इन शरणार्थियों की हिरासत की स्थिति की जांच करने की कोशिश की। लेकिन उन्हें इन शरणार्थियों से मिलने की इजाजत नहीं दी गई।
20 दिसंबर को समंदर से बचाए गए थे 100 रोहिंग्या
20 दिसंबर को, श्रीलंकाई नौसेना ने कहा था कि उन्होंने देश के पूर्वोत्तर तट के पास समुद्र में संकटग्रस्त स्थिति में मिले 100 से अधिक रोहिंग्याओं को बचाया था। इन्हें मुल्लैतिवु जिले के वेल्लमुल्लिवैक्कल क्षेत्र में स्थानीय मछुआरों ने देखा था। बाद में सरकार ने कहा कि इनकी उपस्थिति मानव तस्करी रैकेट का हिस्सा हो सकती है।
देश में रखे गए किसी भी व्यक्ति पर हमारी शक्तियां लागू- आयोग
वहीं विदेश मामलों के उप मंत्री अरुण हेमाचंद्र ने एक समाचार पत्र को बताया, ‘जांच में पता चला है कि ये जानबूझकर यहां उतरे हैं और हम इन्हें अवैध प्रवासी मानते हैं।’ जबकि मानवाधिकार आयोग के पत्र में कहा गया है कि आयोग की शक्तियां केवल श्रीलंका के नागरिकों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देश के भीतर हिरासत में रखे गए ‘किसी भी व्यक्ति’ तक बढ़ती हैं।