नफरती भाषण देने के आरोप से बरी हुए सपा नेता आजम खा, क्या वापस आएगी विधायिकी ?

पा नेजा आजम खां को नफरती भाषण देने के आरोप से बरी कर दिया गया है। इस मामले में एमपी-एमएलए (मजिस्ट्रेट ट्रायल) की कोर्ट ने 27 अक्तूबर 2022 को आजम खां को तीन साल सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी विधायिकी चली गई थी।
नफरती भाषण मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा आजम खां को तीन साल सजा सुनाए जाने के फैसले के खिलाफ उन्होंने सेशन कोर्ट में अपील की थी।  कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आजम खां को नफरती भाषण देने के आरोप से मुक्त कर दिया।  जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख भी किया गया है।

 

सेशन कोर्ट के इस फैसले से आजम खां को एक राहत मिली है,  उनकी विधायिकी अभी भी बहाल नहीं होगी। क्योंकि 15 साल पुराने छजलैट प्रकरण के मुकदमे में भी मुरादाबाद की कोर्ट ने आजम खां और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद अब्दुल्ला आजम की विधायिकी चली गई थी।

यदि नफरती भाषण और छजलैट प्रकरण दोनों में सपा नेता आजम खान को राहत मिल जाती है तो वह तुरंत चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो जाएंगे। अभी की परिस्थिति में आजम खान दो साल की सजा पूरी होने के छह साल बाद ही चुनाव लड़ सकेंगे। इस नियम का उल्लेख जनप्रतिनिधि कानून में किया गया है।

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