आरक्षण के लेकर मतभेद पर शरद पवार ने जताई चिंता, कहा- सरकार को सबसे बात करने की जरूरत
समुदायों के बीच आरक्षण के मुद्दे को लेकर शरद पवार ने चिंता जताते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार को हितधारकों के साथ बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक समूह के लोगों के साथ बातचीत करते हैं, और सरकार के अन्य लोग दूसरे समूहों के साथ बातचीत करते हैं। इसके चलते दोनों में गलतफहमी पैदा हो रही है।
महाराष्ट्र में इन दिनों आरक्षण के मुद्दे को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। इस पर एनसीपी एसपी प्रमुख पवार ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार को हितधारकों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए। पवार ने कहा कि उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा की जो कि बातचीत के पक्ष में थी। उन्होंने कहा, “कोटा को लेकर हितधारकों के साथ जो बातचीत होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई है। मुख्यमंत्री एक समूह के लोगों से बात करते हैं, जबकि सरकार में अन्य लोग अलग-अलग समूहों के साथ बातचीत करते हैं। इससे गलतफहमी पैदा होती है।”
शरद पवार ने कहा कि सरकार को मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे, छगन भुजबल और ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे अन्य लोगों को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए।” दरअसल मनोज जरांगे उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं, जिसमें कुनबियों को मराठों का ऋषि सोयारे या रक्त संबंधी माना गया है। उन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिया गया है। कुनबियों को ओबीसी के रूप में कोटा लाभ मिलता है।
वहीं मंत्री छगन भुजबल सहित ओबीसी सदस्य इस आरक्षण की मांग के बाद परेशान नजर आए। उन्होंने सरकार से जोर देकर कहा है कि उनके कोटे को कम नहीं किया जाना चाहिए। शरद पवार ने कहा कि वह कोटा मुद्दे पर समुदायों के बीच आई दरार से चिंतित हैं। उन्होंने बताया कि मनोज जारंगे ने कहा है कि लिंगायत, मुस्लिम और धनगर समुदाय को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर सही मायने में बातचीत होनी चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है, तो समाज में कोई कड़वाहट नहीं होगी।