UP में आदमखोर कुत्तों का आतंक, सात साल के रजा की मौत
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित ठाकुरगंज में कुत्तों के हमले में बुधवार को सात साल के रजा की मौत हो गई। वहीं रजा की पांच साल की बहन जन्नत फातिमा बुरी तरह घायल हो गई। बच्चे रजा की मौत के बाद घटनास्थल पर आस पास के लोगों की भीड़ जुट गयी।
लोगों ने नगर निगम के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। नाराज लोगों ने देर रात कोतवाली का भी घेराव किया। लोगों का कहना था कि कई बार लोगों ने कुत्तों के आतंक के बारे में नगर निगम में शिकायत की पर सुनवाई नहीं हुई।
ठाकुरगंज इंस्पेक्टर हरिशंकर चंद ने किसी तरह लोगों को समझा कर शांत कराया। लोगों ने जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की। इसके बाद रजा के पिता शबाब ने रिश्तेदारों के साथ बेटे का अंतिम संस्कार किया।
लोगों का गुस्सा बढ़ता देख नगर निगम की टीम कुत्तों को पकड़ने पहुंची। नगर निगम की गाड़ियां देखते ही लोग आक्रोशित हो गए। नगर निगम के लोगों ने वापस लौटना बेहतर समझा। अधिकारियों ने बताया कि फिर से कुत्तों को पकड़ने के लिए जाएंगे। शहर में कुत्तों की नसबंदी की जिम्मेदारी इंटरनेशनल संस्था को दी है। ह्यूमन सोसाइटी नाम की इंटरनेशनल संस्था नसबंदी करती है। नगर निगम ने अस्पताल और जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए हैं।
नगर निगम के संयुक्त निदेशक पशु कल्याण अरविंद राव का कहना है कि शहर में 2 वर्ष पहले लगभग 70000 कुत्ते थे। लगभग 34332 कुत्तों की नसबंदी हो गई है। लगभग इतने ही कुत्ते बचे होने का अनुमान है। कुत्तों को पकड़ने के लिए शहर में रोजाना 7 गाड़ियां दौड़ती हैं। 50 से अधिक कर्मचारी रोजाना कुत्तों को पकड़ते हैं। पकड़ कर इन्हें नगर निगम के अस्पताल में ले जाते हैं। 70 से 80 कुत्तों के रोज पकड़ना दिखाया जाता है। इसके बाद अस्पताल में इनका बंध्याकरण करवाया जाता है।
राजधानी में 80 से 90 लोगों को रोजा कुत्ते काट रहे हैं। यह आंकड़ा चिकित्सा विभाग का है। बलरामपुर, सिविल अस्पताल, रानी लक्ष्मीबाई, लोकबंधु, लोहिया अस्पताल सहित नौ सीएचसी पर इतने लोगों को कुत्ता काटने का टीका लग रहा है। लगभग इतने ही लोग पुराने टीका लगाने के लिए आ रहे हैं। लगभग 160 से 170 के बीच राजधानी के सभी अस्पतालों में नए व पुराने लोग रेबीज का टीका लगाने आ रहे हैं। इन अस्पतालों में कुत्ता काटने का तरीका मुफ्त लगता है।