राजस्थानी सूफी लोकगायक मांगे खान का निधन, 49 वर्ष की आयु में कहा अलविदा

मशहूर राजस्थानी सूफी लोक गायक मांगे खान ने 49 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। मांगे खान राजस्थानी सूफी लोक समूह ‘बाड़मेर बॉयज’ के प्रमुख गायक और हारमोनियम वादक थे। हाल ही में उनके दिल की सर्जरी भी हुई थी। दिवंगत गायक अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चे छोड़ गए हैं। मांगे खान ‘बाड़मेर बॉयज’ का हिस्सा रहते हुए यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया में ग्रुप के साथ 20 देशों में लगभग 200 संगीत कार्यक्रम किए।

अमरस रिकॉर्ड्स ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल के जरिए वीडियो साझा करते हुए लिखा, ‘बहुत दुख और दर्द भरे दिल के साथ, हम अमरस रिकॉर्ड्स के बैंड, ‘बाड़मेर बॉयज’ के प्रमुख गायक मांगे खान के अचानक निधन की दुखद खबर साझा कर रहे हैं।’

मांगे खान राजस्थान के बाड़मेर के रामसर गांव से वंशानुगत संगीतकारों के समूह मांगणियारों से ताल्लुक रखते थे। वह अपने समुदाय के अन्य लोगों के साथ स्थानीय पारंपरिक आयोजनों जैसे शादियों और बच्चों के जन्म पर अपने जजमानों के लिए गाते थे। उनके प्रदर्शनों की सूची में कबीर और मीरा के भजन और सूफी कलाम शामिल हैं। साल 2011 में अमरस डेजर्ट म्यूजिक फेस्टिवल में बाड़मेर बॉयज ने अपनी शुरुआत की, जिसे अमरस रिकॉर्ड्स लेबल के तहत बनाया गया था।अमरस रिकॉर्ड्स के संस्थापक आशुतोष शर्मा ने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, ‘मंगा (मंगे खान)। 1975-2024। कुछ भी लिखने के लिए अभी भी सदमे में हूं।’

मांगे खान और उनके समूह ने ‘एट होम’ और ‘केसरिया बाम’ जैसे एल्बम रिकॉर्ड किए हैं। बता दें कि ‘बाड़मेर बॉयज’ ने वैश्विक समारोहों जैसे टोडो मुंडो (2018), रोस्किल्डे (2014), वासेरमुसिक (2015, 2017), विन्निपेग फोक फेस्टिवल (2015), डिस्टॉर्शन (2015), जीरो फेस्टिवल ऑफ म्यूजिक (2015, 2017), म्यूजिक मीटिंग (2015), फीतो ए मैन (2015), क्लॉकेनफ्लैप हांगकांग (2015) में प्रदर्शन किया है। मांगे खान के जाने से उनके समूह और जानने वाले स्तब्ध हैं। उन्होंने मांगे खान के प्रति अपनी श्रद्धांजलि दी है।

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