यूक्रेन में चुनाव के लिए पुतिन के बिछाए जाल में फंस रहे ट्रंप, जेलेंस्की की वैधता पर उठ रहे सवाल

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को 18 फरवरी को सऊदी अरब में हुई उनके देश के भविष्य से संबंधित चर्चा से बाहर रखा गया। इस वार्ता के दौरान न तो कोई यूक्रेनी प्रतिनिधि था और न ही यूरोपीय संघ का कोई प्रतिनिधि था। वार्ता में केवल अमेरिकी एवं रूसी प्रतिनिधिमंडल और उनके सऊदी मेजबान थे।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद यह बैठक हुई। इस बैठक का रूस में हर्षोल्लास से जश्न मनाया गया। यूक्रेन के भविष्य के बारे में निर्णय लेने में उसकी कोई भूमिका न होना, पुतिन की अपने पड़ोसी के प्रति नीति के अनुरूप है। पुतिन लंबे समय से यूक्रेन देश और यूक्रेन सरकार की वैधता को अस्वीकार करते रहे हैं।

हालांकि, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दोहराया कि भविष्य की चर्चाओं में किसी न किसी स्तर पर यूक्रेन को शामिल करना होगा, लेकिन ट्रंप प्रशासन के कार्यों एवं शब्दों ने कीव की स्थिति और प्रभाव को निस्संदेह कमजोर किया है। अमेरिका जेलेंस्की और यूक्रेन सरकार को अवैध ठहराने की रूस की योजना के अनुरूप तेजी से आगे बढ़ रहा है और शांति समझौते के तहत यूक्रेन में चुनाव कराने की वकालत कर रहा है।

जेलेंस्की की वैधता पर सवाल
जेलेंस्की की वैधता को चुनौती देना यूक्रेनी नेतृत्व को बदनाम करने, यूक्रेन के लिए उसके प्रमुख सहयोगियों से समर्थन को कमजोर करने और जेलेंस्की एवं संभवतः यूक्रेन को वार्ता में भागीदार के रूप में शामिल नहीं करने के लिए रूस द्वारा जानबूझकर चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है।

रूसी राष्ट्रपति ने दावा किया है कि उनका देश शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन तीन साल से जारी युद्ध के कई पर्यवेक्षकों को उनके इस दावे पर संदेह है, क्योंकि यूक्रेन पर रूस के हमले लगातार जारी हैं और वह अभी तक किसी भी अस्थायी युद्धविराम समझौते पर सहमत नहीं हुआ है। इसके बावजूद, रूस यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि समस्या यह है कि यूक्रेन में ऐसा कोई वैध यूक्रेनी प्राधिकार नहीं है, जिसके साथ वह बात कर सके।

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