दिल्ली में प्रदूषण ने तोड़ा चार सालों का रिकॉर्ड, जानिए कैसे…

दिल्ली में इस बार का नवंबर बीते चार वर्षों में सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा है। नवंबर में अबतक पीएम 2.5 का औसत बीते चार वर्षों में सबसे अधिक है। वर्ष 2018 की तुलना में इस बार नवंबर में प्रदूषण का स्तर 20 फीसदी तक अधिक है।

दिवाली के बाद से ही दिल्ली के लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। इस दौरान सिर्फ एक दिन ऐसा रहा जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 अंक से नीचे आया हो। बाकी दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक या तो बेहद खराब श्रेणी या गंभीर श्रेणी में रहा। इस पूरे दौर में प्रदूषक कणों का औसत स्तर चार गुना से भी ज्यादा रहा है।

विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र में वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ अविकल सोमवंशी बताते हैं कि प्रदूषण स्तर ज्यादा बढ़ने के पीछे अन्य कारणों के अलावा एक बड़ा कारण यह है कि इस बार समय से रोकथाम के लिए सही कदम नहीं उठाए गए, जिसके चलते प्रदूषण स्तर लगातार बने रहने से रोका नहीं जा सका।

मानकों के मुताबिक हवा में पीएम 2.5 का औसत स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए। इस बार यह स्तर अभी तक 246 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। ऐसी हवा में लगातार सांस लेने से कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

मानसून की देरी से वापसी के चलते फसलों की कटाई देर से शुरू हुई और कम समयावधि में बहुत सारी पराली जलाई गई, जिसके चलते पराली के धुएं की हिस्सेदारी 48 फीसदी के उच्चतम स्तर तक पहुंची।

मानसून के बाद आने वाले पश्चिमी विक्षोभों के चलते दिल्ली समेत पूरे उत्तरी भारत में हल्की बारिश होती रही है। इससे प्रदूषण का स्तर कम होता है। लेकिन, इस बार अबतक एक बार भी पश्चिमी विक्षोभ नहीं आए हैं।

दिवाली पर पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध कागजी साबित हुए। दिल्ली-एनसीआर में जमकर पटाखे फोड़े गए। हवा की गति कम होने के चलते इससे निकलने वाला प्रदूषण ज्यादा देर तक हवा में टिका रहा।

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