पुलिस ने किया 25 हजार में फर्जी मार्कशीट तैयार करने वाले गिरोह का खुलासा, चार गिरफ्तार

लखनऊ में अमीनाबाद हीवेट रोड पर शुक्रवार को गोली चलने की सूचना मनीष प्रताप सिंह ने पुलिस को दी थी। इंस्पेक्टर अमीनाबाद ब्रजेश कुमार द्विवेदी छानबीन करने पहुंचे थे। पिता-पुत्र के बीच विवाद की बात सामने आई।

असलहा तलाशने के लिए पुलिस पड़ताल कर रही थी। तभी मनीष के पास से अलग-अलग नाम से बनी मार्कशीट मिल गईं। जिसके बाद मनीष से पूछताछ किए जाने पर 25 हजार में मनचाहे बोर्ड की मार्कशीट तैयार करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ। पुलिस ने सरगना मनीष को उसके बेटे समेत गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के पास से बड़ी मात्रा में जाली मार्कशीट, कम्पयूटर व विभिन्न बोर्ड की मोहरें बरामद हुई हैं।

हीवेट रोड साईं भवन निवासी मनीष प्रताप सिंह ने फायरिंग किए जाने की सूचना दी थी। डीसीपी पश्चिम सोमेन वर्मा के अनुसार मनीष ने बेटे सत्येंद्र पर फायरिंग करने का आरोप लगया था। जिसकी जांच करने पुलिस पहुंची थी। छानबीन करने पर पता चला कि मनीष प्रताप सिंह 18 सितंबर 2021 को चिनहट में गिरफ्तार हुआ था। उसके खिलाफ जाली मार्कशीट तैयार करने का आरोप था। यह जानकारी मिलने पर इंस्पेक्टर अमीनाबाद ने तलाशी लेना शुरू किया तो मनीष के घर से बड़ी संख्या में मार्कशीट मिलीं। पूछताछ करने पर आरोपी ने बताया कि जेल से बाहर आने के बाद वह दोबारा से जाली मार्कशीट बनाने का काम करने लगा था।

जिसमें उसका बेटा सत्येंद्र, कासगंज निवासी राजकुमार और नोएडा दादरी निवासी कृष्ण ठाकुर भी शामिल हैं। इंस्पेक्टर के मुताबिक गिरोह के सरगना मनीष और उसके बेटे समेत चार लोगों को पकड़ा गया है। जिनके पास से तमंचा, कारतूस, 223 फर्जी मार्कशीट, मार्कशीट पर लगाए जाने वाले होलोग्राम, कम्प्यूटर, मोबाइल फोन, विभिन्न बोर्ड की मोहरें, प्रिंटर और मार्कशीट छापने वाला पेपर मिला है।

मनीष सिंह करीब 20 साल से जाली मार्कशीट बनाने का काम कर रहा है। एजेंटों के जरिए उसने यूपी के अलावा अन्य प्रदेशों में भी अपना नेटवर्क फैला रखा है। एजेंटों के जरिए परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले युवक-युवतियों को वह जाली मार्कशीट उपलब्ध कराता था।

एसआई कर्ण प्रताप सिंह के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने मनीष को जाली मार्कशीट बनाने के आरोप में तीन बार गिरफ्तार किया था। जिसके बाद वह दिल्ली छोड़ कर प्रयागराज आया गया था। जहां भी उसे गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद आरोपी ने लखनऊ में ठिकाना बना लिया था।

बोगस मार्कशीट तैयार करने वाले गिरोह के पास से स्टेट बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन, बोर्ड ऑफ हॉयर एजुकेशन दिल्ली, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल, महाकौशल आयुर्वेदिक बोर्ड जबलपुर, राजकीय इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग लखनऊ, नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी काउंसिल ऑफ इंडिया की मोंहरे मिली हैं। पूछताछ में मनीष ने बताया कि वह 20 से 25 हजार रुपये लेकर जाली मार्कशीट बना कर देता था।

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