पुलिस आयुक्त बोले- कानून कायम रखने को चोर-डकैत से लेकर भिखारी तक बनना पड़ता है
वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ धाम के गर्भ गृह में पुजारियों के वेश में पुलिसकर्मियों की तैनाती की व्यवस्था छह साल बाद दोबारा लागू हुई है। इससे पहले मार्च 2018 में इस तरह की व्यवस्था प्रायोगिक तौर पर लागू की गई थी, लेकिन कुछ समय के बाद ही स्थिति जस की तस हो गई थी।विश्वनाथ धाम की नई व्यवस्था के संबंध में अमर उजाला के संवाददाता के सवालों के जवाब पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने दिए।
पुजारियों के वेश में पुलिसकर्मियों की तैनाती की व्यवस्था क्यों की गई?
कुंभ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान पुलिस श्रद्धालुओं के वेश में ही उनके साथ रहती है। विश्वनाथ धाम का कायाकल्प होने के साथ ही यहां श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
पुलिसकर्मियों को पुजारी के वेश में गर्भ गृह और उसके इर्द-गिर्द इसलिए तैनात किया गया है ताकि वह देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क गाइड का काम कर सकें। श्रद्धालु भी पुलिस की अपेक्षा पुजारियों से ज्यादा सहज महसूस करते हुए नि:संकोच कुछ भी पूछ लेते हैं।
पहली तैनाती के लिए पुलिसकर्मी कैसे चयनित हुए?
विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात मृदुभाषी, व्यवहारकुशल और यहां की अच्छी जानकारी रखने वाले 24 महिला-पुरुष पुलिसकर्मियों को चयनित कर उनकी तीन पारियों में ड्यूटी लगाई गई है। धाम की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात अन्य पुलिस कर्मियों को भी अच्छे व्यवहार, मंदिर के इतिहास और काशी की अन्य विशिष्टताओं के बारे में जानकारी देने का काम बैच बनाकर किया जा रहा है।
पुलिसकर्मी पुजारी के वेश में ड्यूटी कर सकते हैं क्या?
लोकहित और शांति व कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए पुलिस न जाने क्या-क्या जतन करती है। चोर-डकैत से लेकर भिखारी तक बन कर निगरानी करनी पड़ती है। विश्वनाथ धाम में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ आ रही है। ऐसे में व्यवस्था बनाए रखने के लिए गर्भ गृह व उसके आसपास धोती-कुर्ता में उनकी तैनाती में क्या बुराई है।
पुलिसकर्मियों को धोती-कुर्ता और सलवार-सूट कैसे उपलब्ध कराया गया है?
पुलिसकर्मियों को कपड़े की व्यवस्था सरकारी फंड से कराई गई है। जो भी पुलिसकर्मी इस ड्यूटी के लिए तैनात किए जाएंगे, उन्हें दो सेट पुजारी के कपड़े सरकारी फंड से उपलब्ध कराए जाएंगे।
यह व्यवस्था आगे भी बरकरार रहेगी या पिछली बार जैसा ही हश्र होगा?
श्रद्धालुओं के फीडबैक के साथ ही मंदिर प्रशासन और डीसीपी सुरक्षा के माध्यम से हम नई व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जो खामियां सामने आएंगी, उन्हें तत्काल दुरुस्त कराया जाएगा। परिणाम सार्थक और सकारात्मक रहा तो श्रद्धालुओं के हित में यही प्रयास किया जाएगा कि यह व्यवस्था स्थायी हो जाए।