तंजानिया के दूरस्थ इलाके में संदिग्ध मारबर्ग वायरस की चपेट में आए लोग, आठ की मौत; WHO ने दी जानकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कहा कि उत्तरी तंजानिया के एक दूरदराज के इलाके में संदिग्ध मारबर्ग बीमारी के प्रकोप से आठ लोगों की मौत हो गई। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने एक बयान में कहा, ‘अब तक नौ मामलों का पता चला है, जिनमें आठ से आठ लोग मृत पाए गए हैं। आने वाले दिनों में और मामले सामने आ सकते हैं, क्योंकि रोग की बेहतर निगरानी हो रही है।’
कैसे फैलता है मारबर्ग वायरस?
मारबर्ग वायरस इबोला की तरह ही फल खाने वाले चमगादड़ों से फैलता है। इंसान इस वायरस से संक्रमित हो सकता हैं, अगर संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ (जैसे खून, उल्टी या दस्त) और संक्रमित सतह (जैसे गंदे बिस्तर की चादर) के संपर्क में आता है।
मारबर्ग की बीमारी के लक्षण
यह एक जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है। बुखार, मांसपेशियों में दर्द, दस्त, उल्टी और कभी-कभी अत्यधिक खून बहना इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं, जो मरीज की मौत का कारण बन सकते हैं। अगर इसका समय पर इलाज न हुआ, तो 88 फीसदी मामलों में यह जानलेवा हो सकता है। फिलहाल मारबर्ग के लिए कोई प्रभावी इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है।
वैश्विक स्तर पर कम जोखिम
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि तंजानिया में इस संदिग्ध प्रकोप के जोखिम का आकलन राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर उच्च है। लेकिन, वैश्विक स्तर पर यह जोखिम कम है। तंजानिया के स्वास्थ्य अधिकारियों ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
पहले रवांडा में आ चुके मारबर्ग के मामले
तंजानिया से पहले रवांडा में 27 सितंबर को मारबर्ग का पहला मामला दर्ज किया गया था। रवांडा के अधिकारियों ने इस प्रकोप से 15 लोगों की मौतों और 66 मामलों की सूचना दी थी, जिनमें से अधिकांश प्रभावित स्वास्थ्य कर्मी थे, जो पहले मारबर्ग के रोगियों का इलाज कर रहे थे। रवांडा ने 20 दिसंबर को इसके खत्म होने की घोषणा की थी। इसके अलावा रवांडा की सीमा के पास स्थित कगेरा क्षेत्र में 2023 में मारबर्ग रोग ने पांच लोगों की जान ली थी।