इस राज्य में जारी है दिल्ली की तर्ज पर किसानों का आंदोलन, महिलाएं भी है शामिल
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी दिल्ली की तर्ज पर किसानों का आंदोलन जारी है। नवा रायपुर प्रभावित किसान संघ के बैनर तले हजारों किसान 18 दिनों से नवा रायपुर में आंदोलन कर रहे हैं।
प्रभावित 27 गांवों की महिलाएं, बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण के समय राज्य सरकार ने किसानों से जो वादा किया उसे आज तक पूरा नहीं किया गया है।
जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होगी, वे नहीं हटेंगे। आंदोलन को कई किसान व दूसरे संगठनों का समर्थन मूल रहा है। सहयोग व समर्थन से आंदोलन लगातार जारी है। इधर प्रदेश सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक की किसान नेताओं को महज पांच मिनट पहले सूचना मिलने पर इस बैठक का बहिष्कार कर दिया गया।
दरअसल किसानों की मांगों को लेकर मंत्री मोहम्मद अकबर की अध्यक्षता में राजधानी के शंकर नगर स्थित उनके निवास में नवा रायपुर अटल नगर में आंदोलनरत किसानों के संबंध में एक बैठक रखी की गई थी। बैठक में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू, अपर मुख्य सचिव सुबत साहू, संचालक ग्राम एवं नगर निवेश जय प्रकाश मौर्य सहित नवा रायपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में निर्धारित समय में नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के कोई भी पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित नहीं हुए।
नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि बैठक में किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर तथा कार्यकारी अध्यक्ष समिति की उपस्थिति के लिए सूचना भेजी गई थी। किसान कल्याण समिति ने बैठक में उपस्थिति के लिए लिखित में पत्र देने कहा, लिखित में भी बैठक में उपस्थिति की सूचना दी गई, लेकिन किसान कल्याण समिति के पदाधिकारी उपस्थित नहीं हुए। अब किसान कल्याण समिति से चर्चा के लिए अलग से तिथि तय की जाएगी।
किसान नेता रुपन चंद्राकर ने साफ कहा है कि बैठक की सूचना ही विलंब से मिली थी तो बैठक में कैसे जाते। बैठक की लिखित सूचना पहले से देने की बात गलत है। वाट्सएप पर 1.55 को सूचना मिली, जबकि बैठक 2 बजे रखी गई थी। ऐसे में बैठक में जाना कैसे संभव हो सकता है। नवा रायपुर प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन लाल चंद्राकर ने कहा कि चर्चा के बिंदू की जानकारी लिखित पत्र व्यवहार नहीं आता, तब तक बैठक का औचित्य नहीं है।
किसान कल्याण संघ का कहना है कि बिना पत्र व्यवहार के कई बैठकें हो चुकी है, जिस पर आज तक अमल नहीं हुआ है। किसान संगठन का यह आंदोलन सहयोग और समर्थन से आगे बढ़ रहा है। नवा रायपुर के इस आंदोलन में शामिल होने वालों के लिए हर दिन भोजन की व्यवस्था की जा रही है। किसानों का कहना है कि उनके मांगों पर जब तक सकारात्मक पहल नहीं होता वे नहीं हटेंगे, चाहे जितने दिन भी लग जाए।
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने बताया कि नवा रायपुर पुनर्वास योजना के अनुसार अर्जित भूमि के अनुपात में उद्यानिकी, आवासीय और व्यावसायिक भूखंड पात्रतानुसार निःशुल्क मिलने के प्रावधान का पालन किया जाए। भू-अर्जन कानून के तहत हुए अवार्ड में भूस्वामियों को मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ है उन्हें बाजार मूल्य से 4 गुणा मुआवजा मिले।
नवा रायपुर क्षेत्र में ग्रामीण बसाहट का पट्टा दिया जाए। वार्षिकी राशि का पूर्ण रूपेण आवंटन किया जाए। पुनर्वास पैकेज-2013 के तहत सभी वयस्कों को मिलने वाला 1200 वर्गफीट प्लॉट दिया जाए। साल 2005 से भूमि क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल हटाया जाए एवं आबादी से लगी गुमटी, चबूतरा, दुकान, व्यावसायिक परिसर को 75% प्रभावितों को लागत मूल्य पर देने के प्रावधान का पालन किया जाए।