‘आरोपी के परिजन की लिखित सूचना के आधार पर दर्ज हो केस’, न्यायमित्र की बॉम्बे हाईकोर्ट से अपील

मुंबई:बदलापुर में दो नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के आरोपी की हिरासत में मौत के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की है। न्याय मित्र मंजुला राव ने कहा कि आरोपी अक्षय शिंदे के माता-पिता ने हत्या की आशंका जताते हुए पुलिस को लिखित सूचना सौंपी थी। इसलिए कथित मुठभेड़ की रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने वरिष्ठ वकील मंजुला राव को अदालत की सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया था।

अधिवक्ता राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते और नीला गोखले को बताया कि आरोपी अक्षय शिंदे के माता-पिता ने स्थानीय पुलिस को हत्या की आशंका जताते हुए लिखित सूचना दी थी। मामले में पुलिस ने एडीआर (दुर्घटना में मौत) दर्ज करते हुए जांच राज्य सीआईडी को सौंपी थी। उन्होंने कहा कि जब सीआईडी को एडीआर सौंपी गई थी तो उनको शिंदे के परिजनों की लिखित शिकायत के साथ अन्य दस्तावेज भी दिए गए थे। इस आधार पर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार एफआईआर दर्ज करना जरूरी है, ताकि जांच को आगे बढ़ाया जा सके। यह एक प्रारंभिक दस्तावेज है जो जांच को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने पीठ को बताया कि युवक के माता-पिता के स्थानीय पुलिस और ठाणे के पुलिस कमिश्नर को सौंपे गए पत्रों में से कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया है।

क्या है पूरा मामला?
आरोपी अक्षय शिंदे को अगस्त 2024 में बदलापुर स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 23 सितंबर 2024 को उसे पुलिस ने कथित मुठभेड़ में मार दिया, जबकि उसे तलोजा जेल से कलीमांन पूछताछ के लिए लाया गया था। इस मुठभेड़ को लेकर पुलिस ने दावा किया कि आरोपी अक्षय शिंदे ने एक पुलिसकर्मी का बंदूक छीनकर फायर किया था, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी गोलीबारी की।

मामले की जांच के बाद मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट दाखिल की थी। मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे और अन्य पुलिसकर्मियों को आरोपी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था और उनकी तरफ से की गई गोलीबारी को अनावश्यक बताया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यह मुठभेड़ फर्जी हो सकती है, जैसा आरोपी के परिवार ने दावा किया था। सत्र न्यायालय ने आदेश दिया था कि मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के निष्कर्षों को अगले आदेश तक रोक दिया जाए।

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