ओबीसी सूची विवाद पर 30 सितंबर से पहले ही सुनवाई कर सकता है सुप्रीम कोर्ट, आज आदेश जारी करेंगे CJI

नई दिल्ली :ओबीसी सूची विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर से पहले ही सुनवाई कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश आज इसे लेकर आदेश जारी कर सकते हैं। दरअसल बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई की जाए क्योंकि उच्च न्यायालय के फैसले के चलते आरक्षण के तहत प्रवेश प्रक्रिया बाधित हो गई है। इस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इसे लेकर दोपहर में आदेश जारी करेंगे। सीजेआई ने बंगाल सरकार के वकील को इस संबंध में ईमेल करने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है बंगाल सरकार
गौरतलब है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीती अगस्त में दिए अपने फैसले में बंगाल में ओबीसी सूची में 77 नई जातियों को शामिल करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। बंगाल सरकार ने उच्च न्यायालय के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की थी, लेकिन बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आरक्षण से बाहर होने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार दोपहर को इस संबंध में आदेश जारी करने की बात कही है।

क्या है पूरा विवाद
पश्चिम बंगाल सरकार ने साल 2012 में बंगाल आरक्षण कानून के प्रावधान के तहत 77 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किया था। ओबीसी सूची में शामिल की गईं अधिकतर जातियां मुस्लिम समुदाय की थीं। बंगाल सरकार के इस फैसले को कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बंगाल सरकार के फैसले पर रोक लगा दी। इस दौरान अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा कि पिछड़ी जातियों में 77 जातियों को शामिल करने का फैसला मुस्लिम समुदाय को ध्यान में रखकर लिया गया है।

कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने राजनीतिक कारणों और वोटबैंक के लिए 77 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने का फैसला किया है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से ओबीसी सूची में शामिल की गईं जातियों के आर्थिक और सामाजिक आंकड़े भी पेश करने का निर्देश दिया था। साथ ही सरकारी नौकरियों में भी ओबीसी सूची में शामिल जातियों को प्रतिनिधित्व का आंकड़ा पेश करने को कहा था।

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