41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब 2 प्लानों पर पूरा फोकस, क्यों रुका बचाव अभियान

उतराखंड के उत्तरकाशी सिल्कयारा-बारकोट टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है। आज मंगलवार 28 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन का 17वां दिन है। आज से बचावकर्मियों का पूरा फोकस दो तरह की वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग पर फोकस है।

12 नवंबर को उत्तरकाशी में सिल्कयारा-बरकोट सुरंग के ढह जाने से उसमें 41 मजदूर अंदर ही फंस गए हैं। 16 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के अपने प्रयासों में बचाव टीमों ने अपने इन दो योजनाओं के साथ प्रयासों में तेजी ला रही है। इस समय केंद्र और राज्य सरकार का पूरा ध्यान फंसे हुए लोगों को निकालने पर केंद्रित है।

बचावकर्मियों ने सोमवार देर शाम सुरंग के नीचे मलबे की 60 मीटर मोटी दीवार के पीछे फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए मैन्युअल ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू की है। निकासी पाइपों के अंदर फंसे ऑगर मशीन के एक हिस्से को हटाने के बाद, पहाड़ की चोटी से वर्टिकल ड्रिलिंग जारी रही, जिसमें लगभग 50 मीटर बाकी है।

लेटेस्ट रिपोर्टों के मुताबिक सिल्कयारा सुरंग ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग सोमवार को 31 मीटर तक बढ़ गई और यहां तक कि मलबे के जरिए से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग शुरू करने के लिए साइट पर रैट होल खनन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। यह नया दृष्टिकोण फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए विचार की जा रही कम से कम छह रणनीतियों का हिस्सा है।

भारतीय सेना भी हुई रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल

ऑगर ड्रिलिंग मशीन के खराब होने के बाद कई सरकारी एजेंसियों के अलावा, भारतीय सेना भी सुरंग में मैनुअल रूप से ड्रिलिंग शुरू करने के लिए बचाव अभियान में शामिल हो गई। मशीन को अब सुरंग से हटा दिया गया है। पूर्व इंजीनियर-इन-चीफ और डीजी बीआरओ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा, ”ऑगर ब्लेड बाहर हैं, 1.5 मीटर क्षतिग्रस्त पाइप को हटाया जा रहा है। क्लीयरेंस के बाद कुशल मजदूरों द्वारा और सेना की मदद से मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की जाएगी। यह सबसे तेज तरीका होगा। कुशल मजदूर प्लाज्मा या पारंपरिक तरीके से मैनुअल ड्रिलिंग करेंगे।

Related Articles

Back to top button