काशी के 52 मठ- मंदिर और पशुशाला जर्जर, नहीं हो रही कोई कार्रवाई
वाराणसी: वाराणसी नगर निगम की ओर से जारी अपडेट सूची में 489 जर्जर भवन हैं। इनमें 52 मठ, मंदिर, ट्रस्ट, पशुशाला हैं। इनका रिकाॅर्ड नगर निगम के दस्तावेज में दर्ज है। बावजूद इसके इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। ज्यादातर ये जर्जर भवन कोतवाली और दशाश्वमेध जोन में हैं।
कोतवाली जोन के चपरिया गली, सूत टोला में श्री शंकर पार्वती, दुलहिन जी रोड पर श्री काशी जीवदया विस्तारिणी गोशाला व पशुशाला, भंडारी गली में ठाकुर हनुमान जी, जतनबर में चैतन्य विनायक गणेश जी का भवन है। जो जर्जर घोषित है। इसी प्रकार दशाश्वमेध जोन के सदानंद बाजार, अगस्तकुंडा, राणा महल, पातालेश्वर, मिसिर गली, लाहौरी टोला, रानी भवानी गली, शेख सलीम फाटक, लल्लापुरा आदि क्षेत्रों में जर्जर भवन हैं। इन सभी पर जर्जर भवन की नोटिस चस्पा की गई है लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ है।
बीते छह अगस्त को विश्वनाथ मंदिर से 10 मीटर दूरी पर 5-5 मंजिला के दो जर्जर मकान ढह गए थे। इनमें नौ लोग घायल हुए थे और एक महिला की मौत हो गई थी। शहर के ज्यादातर जर्जर भवन में लोग परिवार के साथ रह रहे हैं। यहां दीवारों में दरार के साथ पत्थर की पटिया टूट रही है। लकड़ी के धरन में दीमक लग चुकी है। समय रहते मरम्मत नहीं कराई गई तो हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है। कमच्छा मेंं पब्लिक वेलफेयर अस्पताल भी जर्जर है। मदनपुरा में जर्जर मकानों के नीचे दुकानें हैं। यहां ग्राहकों की आवाजाही बनी रहती है।
नोटिस देने तक सीमित है नगर निगम
जर्जर भवनों को लेकर नगर निगम निगम की कार्यशैली नोटिस देने तक सीमित रहती है। नगर निगम की ओर से हर साल बारिश के पूर्व शहर में सर्वे कराया जाता है। इसके बाद जर्जर भवनों को चिह्नित कर नोटिस देकर भवन को गिराने या मरम्मत कराने के लिए कहा जाता है। 55 जर्जर भवन ऐसे हैं जिनमें मकान मालिक या किरायेदार ने नगर निगम को न्यायालय में पार्टी बनाया है। बाकी बचे मामलों में मकान मालिक और किराएदारों ने नगर निगम को पार्टी नहीं बनाया है।