ग्लेशियर झीलों के बढ़ते आकार पर एनजीटी ने जताई चिंता, केंद्र व अन्य को नोटिस जारी

नई दिल्ली: हिमालय में मौजूद ग्लेशियर पर लगातार संकट मंडरा रहा है। जहां ग्लेशियर तेजी से तो पिघल ही रहे हैं यानी साल दर साल पीछे जा रहे हैं, वहीं हिमालयी क्षेत्र में मौजूद झीलों का आकार भी तेजी से बढ़ रहा है। अब प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते जोखिम पर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ग्लेशियर झीलों के विस्तार से जुड़े एक मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है।

नदियों में अचानक पानी बढ़ने से होगा बड़ा खतरा

एनजीटी ने बढ़ते तापमान के कारण पिछले 13 वर्षों में ग्लेशियर झीलों में लगभग 10.81 प्रतिशत की वृद्धि दिखाने वाली एक समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया। रिपोर्ट के अनुसार, तापमान में वृद्धि के कारण ग्लेशियरों के पिघलने से बड़ी हिमनद झीलों का निर्माण हुआ है, जिनमें अधिक पानी जमा हो गया है। नदियों में पानी अचानक बढ़ने पर बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। इसलिए भविष्य की चुनौती को अभी से देखकर हम सभी को सतर्क हो जाना चाहिए।

हिमनद झीलों का सतह क्षेत्र बढ़ा

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 19 नवंबर को जारी एक आदेश में कहा, ‘रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में हिमनद झीलों का सतह क्षेत्र 2011 से 2024 तक 33.7 प्रतिशत बढ़ गया है।’राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कहा कि रिपोर्ट ने इन झीलों में अचानक पानी बढ़ने के खतरे को सामने रखा है, जिससे हिमनद झील के बाढ़ (जीएलओएफ) का खतरा बढ़ गया है, जो निचले इलाकों के समुदायों, बुनियादी ढांचे और जैव विविधता के लिए विनाशकारी हो सकता है।

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