पुरुषों को भी हो सकता है एचपीवी संक्रमण, बढ़ सकता है कैंसर का खतरा, ऐसे लोगों में जोखिम अधिक
सर्वाइकल कैंसर इन दिनों विशेष चर्चा में हैं। मॉडल और अभिनेत्री पूनम पांडे ने सर्वाइकल कैंसर से अपनी ही मौत की झूठी खबर फैलाई, हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि वह जिंदा हैं। उन्होंने ऐसा सिर्फ लोगों को सर्वाइकल कैंसर को लेकर जागरूक करने के उद्देश्य से किया था, जिससे लोगों में इसपर चर्चा हो सके, बचाव के लिए लोग टीकाकरण कराने पर जोर दें। पूनम पांड के इस स्टंट को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं। पर इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि सर्वाइकल कैंसर को लेकर चर्चा तो तेज हुई ही है।
सर्वाइकल कैंसर को मुख्यरूप से महिलाओं में होने वाले कैंसर के रूप में जाना जाता है, ये मृत्यु के प्रमुख कारकों में से भी एक है। पर क्या आप जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर के कारण एचपीवी संक्रमण का खतरा महिलाओं के साथ पुरुषों में भी हो सकता है? पुरुष भी एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) संक्रमण के शिकार हो सकते हैं।
पुरुषों को भी हो सकता है एचपीवी संक्रमण
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पुरुषों में मुंह और गले, लिंग या गुदा का एचपीवी-संबंधी कैंसर विकसित हो सकता है। एचपीवी संक्रमण, यौन रूप से सक्रिय लोगों में आम है। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर एचपीवी संक्रमणों को खुद से खत्म करने में मददगार हो सकती है, संक्रमण आमतौर पर कोई लक्षण पैदा नहीं करता है। हालांकि जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है उनमें इसका जोखिम अधिक हो सकता है।90% से अधिक गुदा कैंसर एचपीवी संक्रमण के कारण होते हैं। इसके अलावा लिंग और मुंह-गले के कैंसर के लिए भी एचपीवी संक्रमण को कारक माना जाता है जिसका पुरुषों में खतरा अधिक हो सकता है।
पुरुषों में कई प्रकार के कैंसर का जोखिम
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (एसीएस) का अनुमान है कि साल 2022 में अमेरिका में लगभग 2,070 पुरुषों में लिंग के कैंसर और 3,150 पुरुषों में गुदा कैंसर का निदान किया गया, इसमें से अधिकतर एचपीवी संक्रमण से संबंधित थे।एचपीवी मुख्यतौर पर यौन साझेदारों के बीच संपर्क से फैलता है। समलैंगिक पुरुषों में एचपीवी संक्रमण और इससे संबंधित गुदा कैंसर का खतरा अधिक होता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यौन रूप से सक्रिय समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुषों में गुदा कैंसर का खतरा उन पुरुषों की तुलना में लगभग 17 गुना अधिक हो सकता है जो केवल महिलाओं के साथ यौन संबंध रखते हैं। इसलिए एचपीवी संक्रमण को सिर्फ महिलाओं में होने वाले संक्रमण मानकर नहीं चलना चाहिए।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित अस्पताल में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण जैन बताते हैं, एचपीवी संक्रमण का खतरा पुरुष-महिला दोनों को हो सकता है, इसलिए टीकाकरण की भी आवश्यकता दोनों में है। पुरुषों को, विशेषतौर पर समलैंगिकों को एचपीवी वैक्सीनेशन जरूर करानी चाहिए। ये लिंग, गुदा और कुछ प्रकार के ओरल कैंसर के खतरे को कम करने में आपके लिए मददगार हो सकती है।भारत में पुरुषों में भी एचपीवी संक्रमण के कारण कुछ प्रकार के कैंसर का जोखिम देखा जा रहा है, वैक्सीनेशन की दर को बढ़ाकर संक्रमण की रोकथाम और कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
पुरुषों में एचपीवी वैक्सीनेशन
यू.एस. में एचपीवी संक्रमण और इसके कारण होने वाले कैंसर को रोकने के लिए 9 टीके उपलब्ध है। इसे 9 वर्ष से लेकर 26 वर्ष की आयु तक के पुरुषों और महिलाओं को दिया जा सकता है। समलैंगिक पुरुषों को एचपीवी का टीका देकर इन्हें एचपीवी के गंभीर प्रकार के संक्रमण और कैंसर के जोखिमों से बचाने में मदद मिल सकती है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, टीकाकरण के साथ सुरक्षित यौन संबंधों को बढ़ावा देकर इस संक्रमण और इसके कारण होने वाले कैंसर के खतरे से पुरुषों-महिलाओं दोनों को सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है।