सार्वजनिक परीक्षा में हासिल किए गए अंक RTI के निजी जानकारी नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणी

मुंबई:  बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि सार्वजनिक पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, और उम्मीदवारों की तरफ से हासिल किया गया अंक निजी जानकारी नहीं हैं, और उनका खुलासा निजता के किसी भी अनुचित आक्रमण के बराबर नहीं होगा। जस्टिस एमएस सोनक और जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि ऐसी जानकारी को रोकने से संदेह बना रहता है, जो सार्वजनिक प्राधिकरणों और सार्वजनिक भर्ती प्रक्रियाओं के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ नहीं है।

अभ्यर्थी ने दायर की थी हाईकोर्ट में याचिका
पीठ ने ओंकार कलमनकर की तरफ से दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें पुणे जिला न्यायालय में जूनियर क्लर्क के पद के लिए 2018 में परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की तरफ से हासिल किए गए अंकों का विवरण मांगा गया था। बता दें कि कलमनकर भी परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। अदालत ने संबंधित अधिकारियों को याचिकाकर्ता को लिखित परीक्षा, मराठी और अंग्रेजी टाइपिंग टेस्ट और साक्षात्कार में चयनित उम्मीदवारों की तरफ से हासिल अंकों को छह हफ्ते के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मामला पुणे की जिला अदालत में जूनियर क्लर्क के पद के लिए चयन प्रक्रिया से संबंधित है, जिसके लिए सार्वजनिक विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किए गए थे।

सार्वजनिक प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए- कोर्ट
अदालत ने कहा, इस अर्थ में, यह सार्वजनिक प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। ऐसी चयन प्रक्रिया में उम्मीदवारों की तरफ से हासिल किए गए अंकों को सामान्य रूप से व्यक्तिगत जानकारी नहीं माना जा सकता है, जिसके प्रकटीकरण का किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है। पीठ ने नोट किया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों ने केवल ऐसी व्यक्तिगत जानकारी को छूट दी है, जिसके प्रकटीकरण का किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है।

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