हसीना के देश छोड़ने से अवामी लीग में नेतृत्व संकट, देश में बंद पड़े हैं पार्टी के 95% कार्यालय
साल 1971 में आजादी मिलने के बाद से बांग्लादेश की सियासत में प्रमुख भूमिका निभाने वाली अवामी लीग पार्टी अब एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। पार्टी में नेतृत्व संकट पैदा हो गया। आंतरिक उथल-पुथल और सार्वजनिक असंतोष बढ़ गया है। जिसने इसके भविष्य को खतरे में डाल दिया है।
पांच बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना
अवामी लीग के कुछ सदस्य इस स्थिति को 1975 में पार्टी के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद के संकट से जोड़कर देख रहे हैं। पार्टी में मौजूदा संकट की वजह शेख हसीना की अचानक विदाई है। हसीना 1981 से अवामी लीग की नेता और पांच बार की प्रधानमंत्री रही हैं। सरकारी नौकरियों में एक खास वर्ग को आरक्षण प्रणाली के खिलाफ छात्रों के लंबे आंदोलन के बाद हसीना ने पांच अगस्त को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दिया और देश छोड़कर भारत चली गईं।
इस संकट में देश छोड़कर भारत भागने के हसीना के फैसले को अवामी लीग के कुछ सदस्य एक धोखे के रूप में देख रहे हैं। उनके कई करीबी सहयोगियों को लग रहा है कि उन्हें अकेला छोड़ दिया गया है और अब वे निराश हैं।
हसीना के सलाहकारसार समस्याओं की जड़: बदरुज्जमान
पार्टी के मीरपुर क्षेत्र के एक नेता बदरुज्जमान ने कहा, “हमारी शीर्ष नेता को हमें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था। अगर वह यहां होती तो स्थिति अलग होती। अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता, तो हम कह सकते थे कि हमारी नेता ने भागने का फैसला नहीं किया।” उन्होंने कहा कि हसीना के सलाहकार ही सारी समस्याओं की जड़ हैं। बदरुज्जमान ने कहा, “हसीना के सभी सलाहकार बेकार थे। उन्होंने उन्हें नीचे गिरा दिया। हसीना भी सिर्फ चापलूसों को पसंद करती थीं और हकीकत को नहीं सुनती थीं।”
देश छोड़ गए हैं अवामी लीग के अधिकांश नेता
अवामी लीग के एक वरिष्ठ ने फोन पर पीटीआई को बताया, “पार्टी एक अभूतपूर्व संकट में है। हमारी पार्टी का अस्तित्व संकट में है। बांग्लादेश में चुनाव होने पर भी हम चुनाव में खड़े नहीं हो पाएंगे। हसीना के अचानक इस्तीफे और एक बड़े आंदोलन ने पार्टी में नेतृत्व संकट पैदा कर दिया है और ज्यादातर नेता या तो भाग गए हैं, या छिपे हुए हैं या जेल में हैं।”