कफ़ सिरप: दवा जानकर बच्चों को पिलाया ज़हर, जम्मू से गांबिया तक कहर

लैमिन के परिवार ने बताया कथित ज़हरीली कफ़ सिरप पीने के सात दिनों में ही उसकी मृत हो गई.
पिछले साल जुलाई और अक्टूबर के बीच गांबिया में क़रीब 70 बच्चों की मौत हो गई
साल 2019 दिसंबर और जनवरी 2020 के बीच जम्मू के रामनगर में कम से कम 12 बच्चों की मौत हो गई थी
मौत के लिए दो भारतीय कंपनियों के बनाए कफ़ सिरप को ज़िम्मेदार ठहराया गया
दोनो भारतीय कंपनियों ने आरोपों को ग़लत बताया
रामनगर में ऐसे परिवार हैं, जिन्होंने बताया कि बच्चों ने कथित ज़हरीली कफ़ सिरप को पीया और बच गए
ये परिवार बच्चों के इलाज के लिए सरकारी मदद चाहते हैं
गांबिया में हमने जितने लोगों से बात की, उन्हें भारत सरकार और भारतीय कंपनी के खंडन पर भरोसा नहीं
बच्चों की मौत ने भारत में बनी दवाओं के बारे में कई लोगों के मन में अविश्वास पैदा किया है
डेढ़ साल का श्रेयांश, तीन साल का लामिन, तीन साल की सुरभि शर्मा, 22 महीने की अमीनाटा, ढाई साल का अनिरुद्ध… और कई दूसरे बच्चे.

भारत और गांबिया के ये वो बच्चे हैं, जिनके माँ-बाप ने उन्हें दम तोड़ते देखा.

दो महीने से पाँच साल की उम्र तक के बच्चे.

इसकी वजह थी खाँसी की कथित ज़हरीली दवा खाने से उनका पेशाब बंद होना, शरीर में सूजन और गुर्दे का ख़राब होना.

बच्चे रोते थे, लेकिन अपना दर्द बता नहीं पाते थे.

पिछले साल जुलाई और अक्तूबर के बीच द गांबिया में क़रीब 70 बच्चों की मौत हो गई.
पिछले साल जुलाई और अक्तूबर के बीच गांबिया में क़रीब 70 बच्चों की मौत हो गई.

जबकि साल 2019 दिसंबर और जनवरी 2020 के बीच जम्मू के रामनगर में कम से कम 12 बच्चों की मौत हो गई थी.

मौत के लिए भारतीय कंपनियों के बनाए कफ़ सिरप को ज़िम्मेदार ठहराया गया.

कंपनियों ने आरोपों को ग़लत बताया, लेकिन पीड़ित परिवारों को उन पर विश्वास नहीं.

पुलिस ने जम्मू में बच्चों की मौत की जाँच की और मामला अदालत में है.

जबकि गांबिया में बच्चों की मौत की जाँच के बाद सरकारी रिपोर्टें जारी की गईं, जिनमें एक भारतीय कंपनी के बनाए कफ़ सिरप को मौत के लिए ज़िम्मेदार बताया गया.

कुछ परिवारों ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है और कहा है कि वो भारतीय और अंतरराष्ट्रीय अदालतों का दरवाज़ा खटखटाने से नहीं हिचकिचाएंगे.
एक जैसा दर्द

जम्मू और गांबिया के बीच क़रीब 10,000 किलोमीटर की दूरी है, जिनको पाटता इनका एक जैसा दर्द है, एक जैसी न्याय मांगने की लड़ाई है, जो अब भी जारी है.

मृतकों में गांबिया की क़रीब पाँच लाख की आबादी वाली राजधानी बैंजुल में रहने वाला तीन साल का लामिन भी था.

लामिन को ड्राइव के दौरान पापा की गोद में बैठना बहुत पसंद था.

पिछले साल सितंबर में जब उसे बुख़ार आया, तो डॉक्टर ने जो दवाइयाँ देने को कहा, उनमें कफ़ सिरप भी था.

लामिन दवा नहीं पीना चाहता था, लेकिन परिवार चाहता था कि वो जल्द ठीक हो जाए.

ड्राइवर का काम करने वाले उसके पिता एब्रिमा सानिया उस क्षण को याद करते हैं, “मैंने लामिन से ज़बरदस्ती दवा खाने को कहा.”

एब्रिमा शायद ही उस लम्हे को भूल पाएँ जब उन्होंने अपने बेटे को कफ़ सिरप दिया.
एब्रिमा शायद ही उस लम्हे को भूल पाएँ. उस क्षण को याद करके वो रोने लगे.

दवा लेने के कुछ समय बाद ही लामिन का खाना और पेशाब कम होने लगा.

डॉक्टरी जाँच में पता लगा कि लामिन को गुर्दे की समस्या थी. उसके होठ काले होने लगे थे.

एब्रिमा बोले, “लामिन ने मेरी ओर, मेरी आँखों में देखा. मैंने पूछा, लामिन तुम्हें क्या हो गया? मुझे उसका चेहरा, उसकी आँखें हमेशा याद रहेंगी क्योंकि वो मेरी आँखों के भीतर देख रहा था. मैं भी उसकी आँखों में देख रहा था.”

परिवार के मुताबिक़ कफ़ सिरप पीने के सात दिनों में ही लामिन की मृत्यु हो गई.

बच्चों के इस तरह अचानक चले जाने के सदमे से अभी भी उभर रहे माता-पिता याद करते हैं कि कैसे उनके बच्चों ने दर्द से तड़पते हुए दुनिया छोड़ी.

माता-पिता याद करते हैं कि कैसे उनके बच्चों ने दर्द से तड़पते हुए दुनिया छोड़ी.
एक पिता ने कहा, “मेरी बेटी लगातार इतना चिल्ला रही थी कि आख़िरकार उसके मुंह से आवाज़ निकलनी बंद हो गई. आख़िरी वक़्त में वो माँ का नाम ले रही थी, जैसे माँ से मदद मांग रही हो.”

लामिन के घर के नज़दीक ही 22 महीने की अमीनाटा रहती थी.

अमीनाटा के माँ-बाप को भी समझ नहीं आया कि उनके बेटी के साथ क्या हो रहा है.

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