लागू हुआ चीन का भूमि सीमा कानून, जाने भारत से रिश्तों पर होगा क्या असर
चीन का भूमि सीमा कानून 1 जनवरी से लागू हो गया है। पड़ोसी देश ने बीते साल ही इसे मंजूरी दी थी। चीन ने यह कानून ऐसे समय में लागू किया है, जब पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ तनाव की स्थिति बनी हुई है।
यही नहीं चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों का नया नामकरण किया है और उसे राजदूत ने भारत के कई नेताओं को देश में रह रहे तिब्बती समुदाय के लोगों के कार्यक्रम में न जाने की नसीहत दी है। दोनों देशों के बीच इस तनावपूर्ण समय में आखिर चीन का यह नया कानून रिश्तों में क्या असर डालेगा।
चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमिटी ने इस कानून को पारित किया था। इसमें चीन की भूमि सीमा के संरक्षण करने और उस पर अतिक्रमण को रोकने की बात कही गई है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक कानून में कहा गया है, ‘चीन की अखंडता और संप्रभुता पवित्र और अपरिहार्य है।
इसकी रक्षा के लिए सरकार को प्रयास किए जाने की जरूरत है ताकि कोई भी अतिक्रमण न कर सके।’ कानून में कहा गया है कि सरकार को सीमा सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक विकास किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, सीमाओं पर लोगों के जीवन को आसान बनाने और आबादी को बसाने की जरूरत है।
वॉशिंगटन स्थित चाइना सेंटर ऑफ द ब्रूकिंग्स इंस्टिट्यूट से डॉक्टरेट कर रहीं शुक्सियान लुओ ने नवंबर में लिखा था कि इसका भारत के साथ संबंधों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा था कि बीते कुछ सालों से सीमाओं के मुद्दे पर भारत और चीन के बीच में तनाव की स्थिति है। इसके चलते चीन यह चाहता है कि वह अपने नियंत्रण वाले इलाकों में स्थिति को मजबूत करे।
यही नहीं उनका कहना है कि सेंट्रल एशिया से लगने वाली अपनी सीमा को लेकर भी चीन चिंतित है। उसे लगता है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान बेकाबू हो गया है और उसके इलाके में घुसपैठ, आतंकवाद जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा घरेलू राजनीति में अपनी छवि को मजबूत करने के लिए शी जिनपिंग ने ऐसा कदम उठाया है।
चीन की ओर से लागू नए कानून में भारत का यूं तो कोई जिक्र नहीं है, लेकिन असर जरूर पड़ेगा। चीन और भारत 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और इस पर विवाद है। चीन की 22,457 किलोमीटर लंबी सीमाएं हैं और इन्हें वह 14 देशों के साथ साझा करता है। भारत के अलावा भूटान के साथ चीन 477 किलोमीटर की सीमा साझा करता है और उससे भी विवाद है।
चीन के इस नए कानून को लेकर यह संदेह जताया जा रहा है कि वह अब पूर्वी लद्दाख में विवाद के हल के लिए बातचीत के रास्ते से हट सकता है। दोनों देशों के कॉर्प्स कमांडर्स के बीच अक्टूबर में वार्ता हुई थी। तब ने भारत ने उम्मीद जताई थी कि चीन की सेनाओं ने हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हट सकती है, लेकिन उसने अब तक नहीं किया है। यही नहीं मीटिंग के बाद दोनों देशों की ओर से साझा बयान भी नहीं जारी किया गया।
विदेश नीति के कुछ जानकारों का कहना है कि इस कानून के चलते भारत और चीन के संबंध प्रभावित हो सकते हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कानून की बजाय चीन के ऐक्शन से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित होंगे। यदि चीन सीमा पर आक्रामक होता है तो उसका असर दोनों देशों के रिश्तों पर निश्चित तौर पर होगा। लेकिन महज कानून के चलते ऐसा होने की संभावना नहीं है।