अवैध लौह अयस्क निर्यात मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला खारिज, शीर्ष अदालत ने कहा- नए सिरे से आदेश दें
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को बड़ी राहत दी है। दरअसल, अदालत ने सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें अवैध लौह अयस्क निर्यात के एक कथित मामले में एक कंपनी और अन्य के खिलाफ 2013 के आपराधिक मामले को रद्द कर दिया गया था।
‘कुछ मामलों को छोड़कर सभी पर नए सिरे से करे फैसला’
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ पीठ से कहा कि वह एम/एस एमएसपीएल लिमिटेड और अन्य द्वारा निर्यात किए गए कथित लौह अयस्क की मात्रा को छोड़कर कुछ मामलों में नए सिरे से फैसला करे।
पीठ ने कहा, ‘हमने हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है। पक्षकारों को अगले साल तीन फरवरी को हाईकोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया जाता है। हमने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।’
11 अपीलों पर शीर्ष अदालत ने की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना के 12 दिसंबर के फैसले के खिलाफ सीबीआई की करीब 11 अपीलों पर सुनवाई कर रही थी।
क्या है मामला?
हाईकोर्ट के जजों ने लौह अयस्क के अवैध निर्यात से संबंधित मामले में सीबीआई द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया था और कहा कि एम/एस एमएसपीएल लिमिटेड और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करना और सीबीआई द्वारा आरोपपत्र दायर करना कानून के उलट है।
अदालत ने आगे कहा था कि शीर्ष अदालत ने सीबीआई को वैध परमिट के बिना 50,000 मीट्रिक टन से अधिक लौह अयस्क के निर्यात के मामलों की जांच करने का अधिकार दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि कंपनी के खिलाफ आरोपपत्र में कथित कुल मात्रा 39,480 मीट्रिक टन थी जो शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित सीमा से कम थी।