चार दिन बाद फिर खोला गया जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, मूल्यवान चीजों को स्ट्रॉन्ग रूम ले जाया जाएगा
ओडिशा : पुरी रत्न भंडार आज खोला जा चुका है। इसके भीतर से कीमती सामान और आभूषण सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित कर किए जा रहे हैं। इस दौरान भक्तों के मंदिर में प्रवेश पर रोक रहेगी।
पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठित खजाने रत्न भंडार को गुरुवार को एक सप्ताह में दूसरी बार फिर से खोल दिया गया ताकि कीमती सामान को अस्थायी स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित किया जा सके। भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के समक्ष प्रार्थना करने के बाद, रत्न भंडार से कीमती सामान को स्थानांतरित करने के लिए ओडिशा सरकार द्वारा गठित एक पर्यवेक्षी समिति के सदस्य सुबह करीब 9 बजे मंदिर में प्रवेश कर गए।
श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के आभूषणों को मंदिर में अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित किया जाएगा। हालांकि इस दौरान भक्तों के मंदिर में प्रवेश पर रोक भी रहेगी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के लिए स्थानांतरण जरूरी था। एएसआई यहां आंतरिक कक्ष के अंदर संरक्षण कार्य करेगी। इसके पहले कीमती वस्तुओं की सूची तैयार करने और इसकी संरचना की मरम्मत के लिए 46 साल बाद 14 जुलाई को फिर से खोला गया था। बता दें कि रत्न भंडार सुबह 9.51 बजे से दोपहर 12.15 बजे के बीच खुला है, इस दौरान ही सभी कीमती सामान और आभूषणों को स्थानांतरित किया जाएगा।
श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के खुलने पर, कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, “गुरुवार को भीतर रत्न भंडार से सभी कीमती सामान और आभूषण सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।” बता दें कि मंदिर के रत्न भंडार को खोलने और उसका सामान स्थानांतरित कर संरक्षण का कार्य करवाने का यह फैसला एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, रत्न भंडार को खोलने के दौरान देखरेख के लिए राज्य सरकार की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ, पुरी के जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में हुई बैठक में मंगलवार को लिया गया था।
पिछली बार 46 साल बाद 14 जुलाई को खजाना खोला गया था। 14 जुलाई को रत्न भंडार के बाहरी कक्ष के आभूषण और कीमती सामान को स्ट्रांग रूम में शिफ्ट किया गया था। न्यायमूर्ति रथ ने पुरी के राजा और गजपति महाराजा दिव्य सिंह देब से भी अनुरोध किया कि वे रत्न भंडार में मौजूद रहें साथ ही वहां से कीमती सामानों को बाहर निकालने की प्रक्रिया की निगरानी करें। पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि केवल अधिकृत व्यक्तियों को पारंपरिक पोशाक के साथ खजाने में प्रवेश करने की अनुमति है। यदि आज कीमती सामानों को बाहर निकालने का काम पूरा नहीं हो पाता है, तो मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार काम जारी रहेगा। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जा रही है। मंदिर प्रशासन ने गुरुवार सुबह 8 बजे से मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है। वहीं एक अधिकारी ने बताया, “केवल अधिकृत व्यक्तियों और कुछ सेवकों को ही कीमती सामान को मंदिर में स्थानांतरित करने के दौरान प्रवेश की अनुमति दी गई है।”