द्रौपदी मुर्मु के लिए आसान नहीं था देश का पहला आदिवासी राष्ट्रपति बनने तक का सफर, सभी राज्य से मिले वोट
द्रौपदी मुर्मु का देश का पहला आदिवासी राष्ट्रपति बनने का रास्ता तय हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके केबिनेट की सहयोगियों ने उनसे मुलाकात की।इस चुनाव में पहले से ही मुर्मू की जीत तय मानी जा रही थी. क्रॉस वोटिंग ने भी उनकी जीत का अंतर बढ़ा दिया.
20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में जन्म हुआ. वो आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखतीं हैं. उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से शादी की है. उन्होंने एक टीचर के रूप में करियर शुरू किया.
क्लर्क की नौकरी की. 1997 में पार्षद बनीं. 2000 और 2009 में मयूरभंज की रायगंज सीट से दो बार विधायक बनीं. मई 2015 में झारखंड की राज्यपाल बनीं. देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति देने का श्रेय लेकर भाजपा बड़ा सियासी लाभ हासिल करने के साथ ही अपने विस्तार का रास्ता भी तय करना चाहती है।
राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास को खंगालें तो अब तक 14 हस्तियां राष्ट्रपति बनी हैं। सबसे अधिक मौका ब्राह्मण बिरादरी को मिला है। इस बिरादरी के अब तक छह तो अगड़ी जाति की आठ शख्सियत इस पद तक पहुंची है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग हुई थी. इसमें 99% वोट पड़े थे. 771 सांसद और 4,025 विधायकों ने वोट डाला था. छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, पुडुचेरी, सिक्किम और तमिलनाडु में 100% विधायकों ने वोट दिया था.