’18 साल से जेल में बंद हैं निर्दोष आरोपी’, हाईकोर्ट से बोले बचाव पक्ष के वकील

मुंबई: मुंबई में 11 जुलाई 2006 को हुए ट्रेन धमाकों के मामले में आरोपी व्यक्तियों को ‘निर्दोष होने के बावजूद’ 18 साल से जेल में रखा गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट में सोमवार को यह दावा वरिष्ठ वकील एस. मुरलीधर ने किया।

‘सांप्रदायिक पूर्वाग्रह दिखाती हैं जांच एजेंसियां’
मुरलीधर ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वह दोषियों की सजा को रद्द कर उन्हें बरी करे। मामले पर जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चंडक की विशेष पीठ सुनवाई कर रही थी। वरिष्ठ वकील मुरलीधर उम्रकैद की सजा पाए दो दोषियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मुरलीधर ने हाईकोर्ट से कहा कि यह एक पैटर्न है, जिसमें जांच एजेंसियां आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच करते समय ‘सांप्रदायिक पूर्वाग्रह’ दिखाती हैं।

ट्रेन विस्फोटों में 180 लोगों की हुई थी मौत
यह पीठ पिछले पांच महीनों से विस्फोट मामले से जुड़ी अपीलों पर हर दिन सुनवाई कर रही है। 11 जुलाई 2006 को मुंबई लोकल ट्रेनों में सात विस्फोट हुए थे। जिसमें 180 से ज्यादा लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। निचली अदालत ने सितंबर 2015 में 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिसमें से पांच को मौत की सजा और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसमें मौत की सजा की पुष्टि की मांग की गई थी। वहीं, दोषी व्यक्तियों ने अपनी मौत की सजा और सजा के खिलाफ अपील दायर की थी।

‘एटीएस ने प्रताड़ित कर दर्ज किए आरोपियों के बयान’
मुरलीधर ने कोर्ट से कहा, जांच में पक्षपाती दृष्टिकोण अपनाया जाता है। निर्दोष लोगों को जेल में डाला जाता है और वर्षों बाद जब सबूत नहीं मिलते, तो उन्हें छोड़ दिया जाता है। इसका मतलब है कि वह अपना जीवन फिर से नहीं बना सकते। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य के आतंकवाद रोधी-दस्ते (एटीएस) ने यातना देकर इन आरोपियों के बयान दर्ज किए हैं। 18 साल से ये आरोपी जेल में हैं। तब से एक दिन भी बाहर नहीं निकले। उनके जीवन का सबसे अच्छा समय जेल में ही बीत गया है।

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