भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ी,व्यापार लागत घटी; एक लाख करोड़ डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करेगा देश
वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत निर्यात के मोर्चे पर अच्छी स्थिति में है। देश वैश्विक व्यापार में लगातार अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है। विश्व बैंक ने कहा, भारत 2030 तक एक लाख करोड़ डॉलर का वस्तु निर्यात लक्ष्य हासिल करने में सक्षम है। हालांकि, इसके लिए तीन उपाय करने होंगे। ये उपाय हैं…व्यापार लागत को घटाना, कारोबारी बाधाएं कम करना और अधिक-से-अधिक देशों तक पहुंच बढ़ाना। इसके अलावा, भारत को अपने निर्यात बास्केट में विविधता लाने के साथ वैश्विक मूल्य शृंखलाओं का लाभ भी उठाना होगा।
विश्व बैंक ने मंगलवार को जारी ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ रिपोर्ट में कहा, अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए व्यापार की महत्वपूर्ण भूमिका है। महामारी के बाद वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के पुनर्गठन ने भारत के लिए कारोबार के मोर्चे पर अवसर पैदा किए हैं। भारत ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और डिजिटल पहलों के जरिये अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाया है, जिससे व्यापार लागत में कमी आ रही है। हालांकि, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं बढ़ने से व्यापार केंद्रित निवेश की संभावनाएं सीमित हो सकती हैं।
इन क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने की संभावनाएं
विश्व बैंक के भारत में निदेशक ऑगस्ते तानो कोउमे ने कहा, भारत अपनी वैश्विक व्यापार क्षमता का लाभ उठाकर कारोबार को और बढ़ा सकता है। वह आईटी, व्यावसायिक सेवाओं और फार्मा निर्यात में उत्कृष्ट है। भारत के पास वस्त्र, परिधान और फुटवियर के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स व हरित प्रौद्योगिकी उत्पादों का निर्यात बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। इससे निर्यात बास्केट में विविधता भी आएगी। विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री रैन ली एवं नोरा डिहेल ने कहा, उत्पादन की बढ़ती लागत व घटती उत्पादकता से वैश्विक परिधान निर्यात में भारत का हिस्सा 2022 में 3 फीसदी रह गया। 2018 में यह 4 फीसदी था।
विदेशी मुद्रा भंडार : रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
रिपोर्ट के मुताबिक, चालू खाते के घाटे में कमी और मजबूत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के कारण भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल अगस्त की शुरुआत में बढ़कर 670.1 अरब डॉलर के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।
जीडीपी : बढ़ने की रफ्तार सबसे तेज
रिपोर्ट में कहा गया है, भारतीय जीडीपी की रफ्तार दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले सबसे तेज बनी हुई है। इसे कृषि क्षेत्र, ग्रामीण मांग, निजी खपत और निवेश से समर्थन मिल रहा है। 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 फीसदी की मजबूत रफ्तार से आगे बढ़ी थी। इसे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में निवेश और रियल एस्टेट क्षेत्र में घरेलू निवेशकों में वृद्धि से बढ़ावा मिला था।