रोमानिया बॉर्डर पर फंसे भारतीय छात्र , रूसी सेना के लगातार तेज होते हमलों के बीच…
‘प्लीज सर! हमें भी ट्रेन में बिठा लीजिए। हम इंडियन छात्र हैं।’ राजधानी कीव में चार दिन से फंसे करीब 150 भारतीय छात्र रविवार सुबह 600 किलोमीटर दूर सुरक्षित लवीव शहर पहुंच गए। इन छात्रों में देहरादून के अभिनव और शिप्रा चौहान भी शामिल हैं। अभिनव ने बताया कि बीते रोज ही भारतीय दूतावास ने छात्रों को स्कूल से बाहर जाने के निर्देश दे दिए थे।
यूक्रेन के विभिन्न शहरों से यूक्रेन बॉर्डर क्रॉस कर रोमानिया होकर भारत लौटने की उम्मीद में निकले सैकड़ों भारतीय रविवार देर रात तक बॉर्डर पर ही फंसे रहे। रूसी सेना के लगातार तेज होते हमलों की वजह से स्कूल परिसर भी सुरक्षित नहीं रह गया था। अभिनव बताते हैं कि बीते रोज शाम पांच बजे ही वे कीव रेलवे स्टेशन पहुंच गए। पर वहां रेल नहीं थी।
कुछ समय बाद एक ट्रेन आई लेकिन उसमें जगह नहीं मिल पाई। रात करीब साढ़े दस बजे करीब एक ट्रेन आई तो थोड़ा उम्मीद जगी। लेकिन रेल अधिकारियों ने बिठाने से मना कर दिया। काफी मिन्नतों के बाद वे पसीजे और जगह दे दी। इससे कुछ छात्र ट्रेन में आ गए। जिस वक्त छात्र स्टेशन पर रेल का इंतजार कर रहे थे, तब बाहर बम धमाके भी हो रहे थे।
यूक्रेन के विभिन्न शहरों से यूक्रेन बॉर्डर क्रॉस कर रोमानिया होकर भारत लौटने की उम्मीद में निकले सैकड़ों भारतीय रविवार देर रात तक बॉर्डर पर ही फंसे रहे। इनमें बड़ी संख्या छात्रों की है। देहरादून निवासी छात्र विदित चौहान ने बताया कि उन्हें रोमानिया बॉर्डर में एंट्री नहीं मिल पा रही।
जबकि बॉर्डर पर काफी बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि पास में एक स्टोर खुला है। वहां से खाने का सामान लेने को लोगों की भारी भीड़ लगी है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि सभी भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।