भारतीय अमेरिकी सांसद बोले- मानवाधिकार पर भारत को व्याख्यान देने से कुछ नहीं होगा, बातचीत करना आवश्यक
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने गुरुवार को कहा कि वे भारत में अपने नेतृत्व के साथ मानवाधिकारों के मुद्दे को उठाना जारी रखेंगे। सांसदों ने कहा कि इस मुद्दे पर नई दिल्ली को व्याख्यान देने से काम नहीं चलेगा। वे अपनी चिंताओं के साथ भारतीय नेतृत्व के साथ बात करने के पक्ष में हैं।
‘देसी डिसाइड्स’ शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय अमेरिकी समुदाय के सदस्यों को अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने संबोधित किया। खन्ना के साथ चर्चा में तीन अन्य भारतीय अमेरिकी सांसद- श्री थानेदार, प्रमिला जयपाल और डॉ. अमी बेरा भी शामिल हुए थे। सम्मेलन में भारतवंशी सांसदों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुस्लिम समुदाय के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछा गया था।
समिट में खन्ना ने कहा कि हमारे लोकतंत्र की खामियों और उनके लोकतंत्र की खामियों के दृष्टिकोण पर भारत के साथ चर्चा करना अधिक रचनात्मक होगा। बेरा ने इस पर सहमति जताई। बेरा ने कहा कि मैंने भारतीय विदेश मंत्री से भी यही कहा था। भारत अगर अपना धर्मनिर्पेक्षता की छवि खो देता है तो बाकि दुनिया इसे कैसे देखती है, यह जानना महत्वपूर्ण है।
बेरा ने आगे कहा कि हमारे यहां अभी भी जीवंत लोकतंत्र है। हमारे पास एक जीवंत विपक्षी दल है। हम प्रेस की स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं। यह सभी चीजें हैं, जो मुझे भारत के लिए चिंतित करती हैं। बेरा ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि भारत का लोकतंत्र जीवित रहेगा।
कांग्रेसी जयपाल ने कहा कि वे बेरा और खन्ना से सहमत हैं। हमें अपने देश की खामियों और किसी अन्य देश की खामियों की आलोचना करने में सक्षम होना चाहिए। कांग्रेस के रूप में यही हमारा काम है। हमें व्याख्यान नहीं देना चाहिए, मैं खन्ना से सहमत हूं। लेकिन हमें अमेरिका के सभी हितों के बारे में सोचना होगा। भारत हमारे लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है। हमारे लिए अपने मूल्यों के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जैसे हम अन्य सरकारों की आलोचना करते हैं। ठीक वैसे ही भारत में क्या हो रहा है, हमें इस पर भी ध्यान देना चाहिए।