भारत और अन्य विकासशील देशों ने जलवायु वित्त के लिए रखी अहम मांग, कहा- बोझ कम होने की बजाय बढ़ गया
भारत और 190 से अधिक अन्य देशों के प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संधि ढांचे (यूएनएफसीसीसी) के तहत वार्षिक जलवायु वार्ता ‘सीओपी 29’ के लिए अजरबैजान की राजधानी बाकू में एकत्र हुए। इस दौरान COP29 जलवायु वार्ता में विकसित देशों से समान वित्तीय सहायता की मांग उठी। सूत्रों ने बताया कि भारत और समान विचारधारा वाले विकासशील देशों ने चल रही सीओपी29 जलवायु वार्ता में समान वित्तीय सहायता की मांग की।
इस बात पर भी चिंता जताई गई कि रिपोर्ट किए गए वित्त का लगभग 69 प्रतिशत ऋण के रूप में आया, जिससे पहले से ही कमजोर देशों पर बोझ और बढ़ गया।
नए जलवायु आर्थिक लक्ष्य पर बातचीत के लिए तैयार मसौदे को चीन ने अस्वीकारा
भारत ने समान विचारधारा वाले विकासशील देशों (LMDCs), जी77 और चीन तथा BASIC (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) जैसे प्रमुख समूहों से वार्षिक जलवायु वार्ता में बातचीत की। इस दौरान वह जलवायु वित्त, समानता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की वकालत की। वहीं, जी77 और चीन (संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में लगभग 130 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़े समूह) ने मंगलवार को एक नए जलवायु आर्थिक लक्ष्य पर बातचीत के लिए रूपरेखा के मसौदे को अस्वीकार कर दिया।
निर्धारित नए लक्ष्यों को हासिल करना अहम मकसद
इसके अलावा, इस बार इस समिट का सबसे अहम मकसद निर्धारित नए लक्ष्यों को हासिल करना रहा। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर रूपरेखा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के 29वें सम्मेलन (सीओपी29) में सामूहिक रूप से बातचीत की जा रही है और वैश्विक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रण में रखने के लिए काम किया जा रहा है।
प्रभावी जलवायु कार्रवाई में बाधा डालने वाले…
बातचीत के दौरान समान विचारधारा वाले विकासशील देशों ने प्रभावी जलवायु कार्रवाई में बाधा डालने वाले दबावपूर्ण वित्तीय अंतराल को दूर करने के लिए सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत पर जोर दिया। विकासशील देशों ने अफ्रीकी समूह और अरब समूह के साथ मिलकर वर्षों पहले निर्धारित 100 अरब डॉलर के वार्षिक जलवायु वित्त लक्ष्य तक पहुंचने में विकसित देशों की जवाबदेही पर सवाल उठाया, जो विवादास्पद बना हुआ है।