सनी देओल की किसान फिल्म में ‘जवान’ की आत्मा, काश! गोपीचंद ने 12वीं में पढ़ाई न छोड़ी होती

सनी देओल की फिल्म हो, और मुंबई में भी उसका प्रेस शो न हो तो फिल्म कारोबार पर नजर रखने वालों का चौंकना लाजिमी है। जो लोग फिल्म के बीती रात प्रीमियर का न्यौता पाए, उनसे भी विनती की गई कि रिव्यू सुबह सुबह मत लिख दीजिएगा। लोगों को लगा कि फिल्म वाकई बहुत खराब बनी होगी, लेकिन एक्शन फिल्मों के शौकीन लोगों के लिए खुशखबरी ये है कि ये फिल्म ‘सिकंदर’ जितनी बुरी नहीं है। हां, ‘जवान’ जितनी अच्छी भी नहीं है क्योंकि सनी देओल के पास न दीपिका पादुकोण हैं और न ही नयनतारा। इन दोनों के बीच डोलती फिल्म है ‘जाट’। मूल आत्मा शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ की है। वर्दी की शान पर फिदा रहा एक अफसर सादे कपड़ों में भ्रष्टाचार मिटाने निकला है। हाथ में जो आता है, उसे ही हथियार बना लेता है। इज्जत गंवाने वाली युवतियों को वह बहन बनाता है। धरती के लिए गिड़गिड़ाती बुजुर्ग महिला को मां बनाता है। और, वादा करता है कि संभवामि युगे युगे…!
निर्देशक ने स्कूल में नहीं पढ़ी नागरिक शास्त्र
फिल्म के निर्देशक गोपीचंद मलिनेनी ने अगर अपनी पढ़ाई 12वीं में ही छोड़ न दी होती तो सनी देओल की फिल्म ‘जाट’ भी शाहरुख खान की ‘जवान’ जैसी सुपरहिट फिल्म बन सकती थी। गोपीचंद ने शायद सातवीं, आठवीं में भी नागरिक शास्त्र ठीक से नहीं पढ़ा। भारत में अभी संघीय व्यवस्था उस तरह लागू नहीं है जैसी कि अमेरिका में हैं। अपने राष्ट्रपति को अब भी किसी राज्य में कुछ करवाना हो तो केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिये ही करवाना होता है। और, सीबीआई की भी अपनी सीमाएं है। वह ईडी नहीं है कि जहां चाहे वहां छापा मार दे। फिल्म ‘जाट’ की कहानी उस दौर की लगती है जब मनमोहन देसाई की फिल्मों में तीन हीरो एक दुखिया को ‘डायरेक्ट’ अपना खून दे दिया करते थे और क्लाइमेक्स अपना नाम ले लेकर गाना भी गा देते थे, लेकिन मजाल कि दर्शकों को इससे कोई शिकायत हो। उन दिनों भारत की साक्षरता दर करीब 35 प्रतिशत थी जो अब ग्रामीण इलाकों तक में ये दर 75 प्रतिशत के करीब पहुंच चुकी है।
आंध्र प्रदेश के दो दर्जन तटीय गांवों में लंका से आए और प्रभाकरण जैसे दिखते एक उग्रवादी के लेफ्टिनेंट रहे आतंकी ने स्थानीय नागरिकता हासिल कर गदर काट रखा है। पुलिस उसके चंगुल में हैं। नेताओं का उस पर आशीर्वाद है। और, ये सब वह कर रहा है एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को मदद पहुंचाने के लिए। न कोई न्यूज चैनल इसे देख पा रहा है और सोशल मीडिया पर डाला गया वीडियो भी सीधे उन्हीं को दिखता है जिनके खिलाफ ये बना है!