क्रिकेटर नहीं होते तो खेती करते राज लिम्बानी, बचपन में रेत पर करते थे अभ्यास, जानें पूरी कहानी
अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में भारत के लिए राज लिम्बानी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार गेंदबाजी की। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के बेनोनी में 10 ओवर में 38 रन देकर तीन विकेट लिए। उन्होंने इस टूर्नामेंट के छह मैचों में 11 विकेट लिए। लिम्बानी दाएं हाथ से तेज गेंदबाजी करते हैं। उन्होंने इस स्तर तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत की है।
गुजरात के कच्छ में पले-बढ़े लिम्बानी के पिता किसान हैं। उन्होंने अपने पिता के सपने को पूरा किया है। अब उनका लक्ष्य सीनियर भारतीय टीम के लिए खेलना है। लिम्बानी अगर क्रिकेटर नहीं होते तो वह पिता के साथ खेती करते हैं। उनके पिता वसंत पटेल ने साफ कह दिया था कि वह अगर क्रिकेट में सफल नहीं होते हैं तो उन्हें भी खेती करना होगा। पिता ने बेटे के सपने को तरजीह दी और लिम्बानी को क्रिकेटर बनने के लिए भेजी।
ऐसे हुई लिम्बानी के करियर की शुरुआत
बड़ौदा से करीब 550 किलोमीटर दूर दयापार जिले में लिम्बानी का घर है। यह कच्छ क्षेत्र में हैं। पाकिस्तान का सीमा यहां से करीब 27 किलोमीटर की दूरी पर है। लिम्बानी का घर रेगिस्तानी क्षेत्र में है। वहां खेलने की सुविधा बिल्कुल नहीं है। पिता ने बचपन से ही लिम्बानी का ध्यान क्रिकेट पर देखा। उन्होंने पहले टेनिस और फिर कॉर्क की गेंद से गेंदबाजी की। कच्छा क्षेत्र में गर्मी काफी पड़ती है। लिम्बानी गर्मी के बावजूद रेत पर घंटों गेंदबाजी करते थे।
मशहूर अकादमी में लिम्बानी ने ट्रेनिंग की
पिता ने लिम्बानी को क्रिकेटर बनने के लिए बड़ौदा भेजा। वहां उन्हें बेहतर सुविधा और ट्रेनिंग मिली। वह 2010 में बड़ौदा आए थे। लिम्बानी ने उसी अकादमी में ट्रेनिंग की, जिसमें यूसुफ पठान और इरफान पठान के अलावा हार्दिक पांड्या और क्रुणाल पांड्या ने ट्रेनिंग की थी।
डायरी में लिख रखा है अपना लक्ष्य
अंडर-16 के कैंप में लिम्बानी को देखकर उनके कोच दिग्विजय सिंह काफी खुश हुए थे। लिम्बानी के एक पास डायरी है। इसमें उन्होंने अपने लक्ष्य के बारे में लिखा था। उन्हें पहले अंडर-16 में खेलना था। फिर अंडर-19 टीम में जगह बनानी थी और उसके बाद एनसीए जाना है। यहां से भारतीय टीम में जगह बनानी है।