नया वैरिएंट पिरोला पिछले वैरिएंट्स से कितना अलग? जानिए वैश्विक स्तर पर बढ़ते इस नए जोखिम के बारे में

कोरोना के नए वैरिएंट्स के मामले वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। एरिस (EG.5) और पिरोलो जैसे नए वैरिएंट्स की प्रकृति काफी संक्रामकता वाली देखी जा रही है, जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। पिरोला के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और बेहद कम समय में 55 से अधिक देशों में पहुंच चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस नए वैरिएंट की प्रकृति को देखते हुए इसे ‘वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ के रूप में वर्गीकृत किया है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि नए वैरिएंट्स में अधिक म्यूटेशन देखे गए हैं, जो शरीर में वैक्सीन और पहले के संक्रमण से बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा देकर लोगों को संक्रमित कर सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैश्विक स्तर पर कोरोना के नए वैरिएंट्स के मामले जिस तरह से बढ़ते जा रहे हैं, ये बड़ा स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है, इससे सभी लोगों को बचाव करते रहना जरूरी है। पिरोला की प्रकृति अत्यधिक संक्रामकता वाली हो सकती है क्योंकि इसमें मूल वैरिएंट की तुलना में 35 से अधिक म्यूटेशन हैं। आइए जानते हैं कि ओमिक्रॉन के अब तक के वैरिएंट्स की तुलना में ये नया वैरिएंट कितना अलग है?

ओमिक्रॉन का सबसे अधिक म्यूटेशन वाला वैरिएंट

अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना के इस नए वैरिएंट को इसके अत्यधिक म्यूटेशन काफी अलग बनाते हैं। म्यूटेशंस की अधिकता का मतलब है कि ये पिछले वैरिएंट्स की तुलना में अपने आनुवंशिक अनुक्रम के आधार पर कितने भिन्न हैं?

हाल ही में सामने आए वैरिएंट BA.2.86 में 35 नए उत्परिवर्तन हैं जो इसे पहले से ज्ञात कोविड वैरिएंट से अलग करते हैं। अधिक म्यूटेशनों का मतलब यह भी है कि यह आसानी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में सफल हो रहा है, जिसके कारण कम समय में अधिक से अधिक लोगों में संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है।

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