नूतन-सुरैया जैसी पॉपुलर एक्ट्रेस के साथ फिल्म करके भी फ्लॉप रहे, फिर गायकी से बनाया नाम

संगीत की दुनिया में तलत महमूद एक ऐसा नाम है, जिनके गानें आज भी लोगों के जुबां पर हैं। संगीत के लिए इन्होंने परिवार तक को छोड़ दिया था। नूतन, सुरैया जैसे तमाम बड़े अभिनेत्रियों के साथ अभिनय की दुनिया में भी काम किया। आज इनके जीवन के संघर्षों से लेकर ऊंचाइयों तक की अनसुनी कहानियों को जानेंगे। आइए जानते हैं….

संगीत का घोर विरोधी था इनका परिवार
यूपी राज्य के नवाबों के शहर लखनऊ में तलत महमूद का जन्म 24 फरवरी 1924 को हुआ। इनके परिवार वाले पुराने विचारों वाले थे, जो संगीत को बहुत खराब शौक मानते थे। तलत साहब का बचपन से ही संगीत में खास रूझान था, इस कारण उन्होंने अपने परिवार वालों को भी छोड़ दिया। संगीत करियर की शुरुआत महमूद साहब ने ऑल इंडिया रेडियो से की, जहां वह गजलों को गाया करते थे। मात्र 17 वर्ष की उम्र में तलक ने 1941 में अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था, जो एक बंगाली गीत था ‘सब दिन एक समान नहीं’।

50-60 के दशक में बॉलीवुड में लाई क्रांति
तलत महमूद ने 1944 में एक गाना गाया ‘तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला ना सकेगी’, इस गाने ने तलत साहब को मशहूर कर दिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी नाजुक और भावुक आवाज से बॉलीवुड के संगीत की दुनिया में क्रांति लाने का काम किया। महमूद साहब ने कई हिट्स गाने दिए जिसमें ‘जाएं तो जाएं कहां’, ‘शाम-ए-गम की कसम’, ‘ये हवा ये रात ये चांदनी’, ‘फिर वही शाम वही गम’ जैसे गानें शामिल हैं। उनकी आवाज में एक ठहराव था, एक गहराई थी, जो सीधे दिल को छू जाती थी। महमूद साहब ने सभी भाषाओं में कुल मिलाकर 750 गाने गाए।

नूतन, सुरैया जैसे नामी अभिनेत्रियों के साथ किया काम
गायन ही नहीं अभिनय की दुनिया में भी तलत महमूद ने हाथ आजमाया, जिसमें उन्होंन कई चर्चित कलाकारों के साथ काम किया। नूतन, सुरैया, माला सिन्हा जैसी अभिनेत्रियों के साथ उन्होंने फिल्में की। उन्होंने ‘राजलक्ष्मी’, ‘दिल-ए-नादान’, ‘वारिस’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया है। फिल्मों में ज्यादा मन ना लगने पर उन्होंने अपने गायन को जारी रखा। 1960 के दशक के बाद जब संगीत उद्योग में बदलाव आया तो तलत साहब का प्रभाव कम होने लगा। फिर उन्होंने फिल्मी गाने छोड़ स्टेज परफॉर्मेंस की ओर रूख किया।

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