डीसी के पद रिक्त, ग्राउंड कमांडरों को 14 साल में नहीं मिली पदोन्नति, कब खत्म होगा प्रमोशन का वनवास
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ में ग्राउंड कमांडर यानी ‘सहायक कमांडेंट’ को 14 साल बाद भी पहली पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। हैरानी की बात है कि सीआरपीएफ में करीब डेढ़ सौ डिप्टी कमांडेंट के पद रिक्त हैं, लेकिन इसके बावजूद ग्राउंड कमांडरों को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा। कैडर अधिकारियों के मुताबिक, बल मुख्यालय द्वारा कोर्ट केस का हवाला देकर ग्राउंड कमांडरों को शांत कर दिया जाता है।
ऐसा आरोप है कि बल मुख्यालय इस मामले में कोई विधिक उपाय भी नहीं कर रहा। न ही डीसी के रिक्त पदों पर ‘अगेंस्ट द वैकेंसी ऑफ डीसी’ की पोस्टिंग मिल रही है। समय पर पदोन्नति न मिलने से अफसरों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ता है। यही ग्राउंड कमांडर, बल में टेरेरिस्ट/नक्सली ऑपरेशन के अलावा चुनावी ड्यूटी और आपदा के दौरान कंपनी कमांड करते हैं। अगर जल्द ही इस मुद्दे का समाधान नहीं तलाशा गया तो रिक्तियां बढ़ती रहेंगी और बल का कामकाज भी प्रभावित होगा।
स्वयं को अभिशापित अधिकारी बता दिया था …
पिछले दिनों सीआरपीएफ डीजी ने ग्राउंड कमांडरों के साथ संवाद किया था। उस दौरान अन्य बातों के अलावा कैडर अफसरों ने अपनी पदोन्नति का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया। एक अधिकारी ने तो भावुक होकर स्वयं को अभिशापित अधिकारी बता दिया था। संवाद के दौरान कई दूसरे ग्राउंड कमांडर भी पदोन्नति को लेकर हतोत्साहित नजर आए थे। ग्राउंड कमांडरों से संवाद के बाद डीजी सीआरपीएफ ने उन्हें आश्वासन दिया था कि जल्द ही उनकी समस्या को हल किया जाएगा।
डीजी ने इस मसले पर कैडर अधिकारियों की एक कमेटी भी गठित की थी। उसे 30 जून तक अपनी रिपोर्ट देनी थी। वह रिपोर्ट बल मुख्यालय द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी जानी थी। सूत्र बताते हैं कि ऐसी रिपोर्ट कई बार बन चुकी हैं। समस्या क्या है और उसका हल क्या है, ये बात गृह मंत्रालय और बल मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी जानते हैं। इसके बावजूद ग्राउंड कमांडरों की डिप्टी कमांडेंट बनने की फाइल आगे नहीं बढ़ पा रही है।
ग्राउंड कमांडर, कब करेंगे बटालियन कमांड …
कैडर अधिकारी बताते हैं, हमारा क्या कसूर है। बल में ऐसी कौन सी ड्यूटी है, जिसमें उनकी भूमिका नहीं होती। अगर पहली पदोन्नति मिलने में ही 15 साल लग रहे हैं तो बाकी के सेवाकाल का अंदाजा लगाया जा सकता है। मतलब, आधी सर्विस में एक भी पदोन्नति नहीं मिल रही। अगर पदोन्नति, इसी रफ्तार से मिलती रही तो इन अधिकारियों को कब बटालियन कमांड करने का मौका मिलेगा। जब वे रिटायरमेंट के करीब होंगे, तब वे कमांडेंट बनेंगे। उनके लिए डीआईजी, आईजी या एडीजी के पदों तक पहुंचना तो एक सपना ही बना रहेगा। ग्राउंड कमांडर व दूसरे अधिकारियों को अपने हकों के लिए अदालत में जाना पड़ रहा है।