पूर्व PM इमरान खान की मुश्किलें हो सकती हैं कम, हाईकोर्ट ने माना- साइफर मामले में नहीं है कोई सबूत
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राहत मिलने की उम्मीद है। दरअसल, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जेल में बंद खान के पास गोपनीय दस्तावेज (साइफर) था और यह उनके पास से गायब हुआ।
71 वर्षीय खान और तत्कालीन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने साइफर मामले में आरोप सिद्ध होने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर मंगलवार को फिर से सुनवाई शुरू हुई।इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की खंडपीठ ने सवाल किया कि क्या एजेंसी के पास कोई सबूत है, जो साबित कर सके कि पूर्व पीएम के पास गुप्त दस्तावेज थे।
क्या है गोपनीय दस्तावेज लीक मामला?
साल 2022 मार्च में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले एक जनसभा के दौरान पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान ने जेब से एक कागज निकालकर लहराया था और दावा किया था कि उनकी सरकार गिराने के लिए अंतरराष्ट्रीय साजिश रची जा रही है। आरोप है कि साल 2022 में वॉशिंगटन से पाकिस्तान स्थित दूतावास में एक केबल भेजा गया था, जो लीक हो गया और इमरान खान ने कथित तौर पर उसे ही जनसभा के दौरान लहराया था। हालांकि बाद में पूछताछ के दौरान इमरान खान ने गोपनीय दस्तावेज के रैली में लहराने से इनकार किया था। इमरान ने ये भी कहा कि उनसे वह गोपनीय दस्तावेज गुम हो गया है और उन्हें याद नहीं आ रहा है कि उन्होंने उसे कहां रख दिया है। इसी मामले में खान और उनकी सरकार में विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी को 10 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।
बचाव पक्ष के वकील ने रखी यह बात
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले बचाव पक्ष के वकील बैरिस्टर सलमान सफदर द्वारा इस्लामाबाद हाईकोर्ट को सौंपी गई विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में संकेत दिया गया था कि साइफर लेने वाले पूर्व सेना प्रमुख और मुख्य न्यायाधीश समेत लगभग हर व्यक्ति ने गोपनीय दस्तावेज लौटा दिए जबकि खान के खिलाफ मामला दर्ज हो गया।
विशेष अभियोजक और मुख्य न्यायाधीश के बीच हुई बहस
जबकि विशेष अभियोजक हामिद अली शाह ने विदेश मंत्रालय से पीएम कार्यालय तक साइफर मामले को समझाया। इसपर मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने पूछा, ‘क्या आपके पास साइफर से जुड़ा कोई रिकॉर्ड है, जो यह साबित करता हो कि प्रधान सचिव ने प्रधानमंत्री को यह दस्तावेज दिया गया था?’