टैरिफ युद्ध के बीच, विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में बाजार से निकाले 31 हजार करोड़ रुपये

अमेरिका द्वारा कई देशों पर टैरिफ लगाए जाने और अमेरिका और चीन के बीच संभावित टैरिफ युद्ध को लेकर दुनियाभर के बाजारों में अस्थिरता का दौर चल रहा है। इस बीच अप्रैल माह में भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों ने 31,575 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। वहीं 21 मार्च से 28 मार्च के बीच छह ट्रेडिंग सेशन में करीब 30,927 करोड़ रुपये का निवेश भी आया है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस निवेश से मार्च में कुल निकासी घटकर 3,973 करोड़ रुपये रह गई।

इस साल भारतीय बाजार से 1.48 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं विदेशी निवेशक
फरवरी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार से 34,574 करोड़ रुपये निकाले थे। जनवरी में तो विदेशी निवेशकों ने 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे। निवेशकों की धारणा में यह बदलाव वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और गतिशीलता को दर्शाता है। डेटा के अनुसार, 1 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी से 31,575 करोड़ रुपये निकाले। इसके साथ ही साल 2025 में भारतीय बाजार से विदेशी निवेशक कुल 1.48 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।

लॉन्ग टर्म में भारत को मिलेगा फायदा
जियोजित इन्वेस्टमेंट के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप के पारस्परिक टैरिफ के बाद वैश्विक शेयर बाजारों की उथल-पुथल, भारत में एफपीआई निवेश को भी प्रभावित कर रही है।’ उनका मानना है कि मौजूदा अराजकता का दौर शांत होने के बाद ही विदेशी निवेशकों की रणनीति का स्पष्ट पैटर्न उभर कर सामने आएगा। उनका मानना है कि अमेरिका और चीन टैरिफ युद्ध के चलते मंदी की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में मध्यम अवधि में विदेशी निवेशक भारत का रुख कर सकते हैं। वित्तीय वर्ष 2026 में बेहतर आय वृद्धि के साथ भारत में एफपीआई निवेश बढ़ सकता है। वेंचुरा के शोध प्रमुख विनीत बोलिन्जकर ने कहा कि भारतीय इक्विटी में चल रही बिकवाली अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण भू-राजनीतिक जोखिम से प्रेरित है। हालांकि, देश के मजबूत मैक्रो फंडामेंटल बरकरार हैं। जिससे मजबूत घरेलू मांग और व्यापार पुनर्गठन बातचीत से भारत को लंबी अवधि में फायदा होगा।

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