घर से एक साथ उठी पांच अर्थियां… तो बिलख उठा पूरा मोहल्ला, अंतिम क्रिया करते समय कांप उठे हाथ

लखनऊ:  राजस्थान के जयपुर में रविवार को हुए हादसे में लखनऊ के ठाकुरगंज के मुसाहिब गंज निवासी एचसीएल कंपनी के साफ्टवेयर इंजीनियर अभिषेक सिंह (32), पत्नी प्रियांशी (33), बेटी श्री (छह माह), पिता सत्यप्रकाश (65) और मां रमादेवी (63) की मौत हो गई। उनके शव सोमवार तड़के चार बजे घर पहुंचे। शव देखते ही परिवार के लोग बिलख पड़े। घर से एक साथ पांच अर्थियां उठते ही चीत्कार मच गई।

सुबह 11:30 बजे परिवार व पड़ोसी शव लेकर गुलाला घाट पहुंचे। अपने पिता सत्यप्रकाश, मां, छोटे भाई और भाभी के शवों को देख हिमांशु सिंह फिर बिफर पड़े। अंतिम क्रिया करते समय उनके हाथ कांप उठे। किसी तरह से उन्हें परिवार के लोगों ने उन्हें संभाला। सदमे और गम में डूबे हिमांशु ने चारों को मुखाग्नि दी। जबकि, छह माह की दुधमुंही भतीजी श्री का शव दफन कर दिया।

गश खाकर गिर पड़े हिमांशु
इससे पहले हिमांशु जैसे ही शव लेकर घर पहुंचे तो वह गश खाकर गिर पड़े। परिवार के लोग दहाड़े मारकर रोने लगे। घर की एक-एक दीवार लोगों के रोने की आवाज से गूंज उठीं। परिवार और मोहल्ले के लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते रहे। मगर, आंखों से निकलते आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।

नन्हीं श्री के शव से लिपट गईं चाची
अपनी लाडली भतीजी श्री के शव से हिमांशु की पत्नी लिपट गईं। रुंधे गले से वह सिर्फ एक ही बात कहे जा रही थीं कि मेरी भतीजी अभी तक बोल भी न सकी, दुनिया भी नहीं देखी…और भगवान ने उसे हम सबसे छीन लिया। वह हम सबकी लाडली थी। मई में श्री का मुंडन संस्कार होना था। मगर, कभी सोचा नहीं था कि उसका अंतिम संस्कार करना पड़ेगा।

खुशियों ने मुंह मोड़ा, पसरा मातम
सत्य प्रकाश के बड़े भाई चंद्र प्रकाश बिलखते हुए बोले अभी हार्ट अटैक से भाई सूर्य प्रकाश की मौत हुई थी। सब उस दुख से उबर ही रहे थे। एक माह पूरा भी नहीं हुआ और भाई सत्य प्रकाश, रमा, भतीजा, बहू और पोती भी हमें छोड़कर चली गई। घर में खुशियों का माहौल था। एक और भाई अमेय के पोते का आज मुंडन था। हम सभी को सत्य प्रकाश के आने का इंतजार था कि पर पता नहीं था कि अब उनका व घरवालों के शव आएंगे। चंद्र प्रकाश ने कहा कि मानों अब ऐसा लग रहा है कि खुशियों ने घर से मुंह मोड़ लिया है। हर जगह मातम पसर गया है।

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