कृषि कानून रद्द होने के बाद भी आंदोलन करेंगे किसान, वजह जानकर छूटे लोगो के पसीने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा के बावजूद किसान आंदोलन यथावत जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शनिवार को स्पष्ट किया कि पूर्व घोषित कार्यक्रम चलते रहेंगे।

इसमें एक साल पूरा होने पर 26 नवंबर को दिल्ली सीमाओं के धरना स्थलों पर किसानों को अधिक से अधिक संख्या में पहुंचाने का आह्वान किया गया है। इस दिन टोल प्लाजा वसूली बंद रहेगी। वहीं, 22 नवंबर को लखनऊ में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा।

28 तारीख को 100 से अधिक संगठनों के साथ संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा के बैनर तले मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल महाराष्ट्रव्यापी किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। घोषणा के मुताबिक, 29 नवंबर से प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारियों का ट्रैक्टर ट्रॉलियों में संसद तक शांतिपूर्ण और अनुशासित मार्च योजनानुसार आगे बढ़ेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय को-ऑर्डिनेशन कमेटी की शनिवार को हुई बैठक में उपरोक्त फैसले किए गए हैं। बैठक में मोर्चा के शीर्ष नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्काजी), युद्धवीर सिंह आदि उपस्थित थे।

मोर्चा के नेताओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने तीन काले कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की, लेकिन वे किसानों की लंबित मांगों पर चुप रहे। किसान आंदोलन में अब तक शहीद हो चुके 670 से अधिक किसान को श्रद्धांजलि देना तो दूर उनके बलिदान तक को स्वीकार नहीं किया। इन शहीदों के परिवारों को मुआवजे और रोजगार के अवसरों के साथ समर्थन दिया जाना है।

शहीदों को भी संसद सत्र में श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए। हरियाणा, यूपी, दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश आदि विभिन्न राज्यों में हजारों किसानों के खिलाफ सैकड़ों झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन सभी मामलों को बिना शर्त वापस लेना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जारी किसान आंदोलन की सभी मांगें पूरी हो जाने तक आंदोलन जारी रहेगा।

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