‘किसी की गलती के कारण अस्थायी रूप से हाथ से निकल गया PoJK’; जयशंकर का बिना नाम लिए नेहरू पर तंज
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में महंगाई को लेकर इन दिनों हिंसा जारी है। इसे लेकर भारत में केंद्रीय नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। गृह मंत्री अमित शाह के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा है कि पीओजेके को भारत का हिस्सा बताया है। इस दौरान उन्होंने बिना नाम लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर परोक्ष रूप से निशाना भी साधा। जयशंकर ने एक कार्यक्रम में एक सवाल पर कहा कि पीओजेके भारत का हिस्सा है और किसी की कमजोरी या गलती के कारण यह अस्थायी रूप से हमसे दूर हो गया है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी यही बात कही थी। पश्चिम बंगाल में एक चुनावी रैली में शाह ने पाकिस्तान को घेरते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत इसे (पीओके) ले लेगा।
जयशंकर ने बिना नाम लिए नेहरू और कांग्रेस पर किया कटाक्ष
दरअसल, ‘विश्वबंधु भारत’ कार्यक्रम में जयशंकर से पूछा गया था कि यदि भारत ‘लक्ष्मण रेखा’ को पार करता है और पीओजेके को भारत संघ में शामिल करता है तो चीन की प्रतिक्रिया क्या होगी? इसका जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, ‘मैं मुझे विश्वास नहीं है कि ‘लक्ष्मण रेखा’ जैसी कोई चीज है। मुझे लगता है कि पीओजेके भारत का हिस्सा है और किसी की कमजोरी या गलती के कारण यह अस्थायी रूप से हमसे दूर हो गया है।’ आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम इस हिस्से को हासिल करेंगे। साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र में चीन की भागीदारी पर भी बात की। जयशंकर ने कहा कि भारत का पीओजेके पर वैध दावा है, ऐसे में न तो पाकिस्तान और ना ही चीन इस पर अपनी संप्रभुता का दावा कर सकता है।
जयशंकर ने आगे कहा, ‘मैं चीन का राजदूत था, और हम सभी चीन की पिछली हरकतों और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने के बारे में जानते हैं…उनका पुराना इतिहास है। हमने उन्हें बार-बार बताया है कि इस भूमि, पर न तो पाकिस्तान और न ही चीन अपना दावा कर सकता है। यदि इसका कोई संप्रभु दावेदार है तो यह भारत है। आप कब्जा कर रहे हैं, आप वहां निर्माण कर रहे हैं, लेकिन कानूनी स्वामित्व हमारा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 1963 में हुए पाकिस्तान और चीन के बीच के समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि 1963 में, पाकिस्तान और चीन अपनी दोस्ती को आगे बढ़ाने के लिए सहमत हुए। तब पाकिस्तान ने चीन को करीब रखने के लिए, पाकिस्तान के कब्जे वाले लगभग 5,000 किमी क्षेत्र के कुछ हिस्से को चीन को सौंप दिया। उस समझौते में लिखा है कि चीन इस बात का सम्मान करेगा कि यह क्षेत्र पाकिस्तान का है या भारत का। उन्होंने कहा कि कई बार लोग इसी तरह जमीन को हड़प लेते हैं। लेकिन इन मामलों का समाधान किस तरह हो इस पर गौर करने की जरूरत है।