मोक्षदा एकादशी पर भूलकर न करें ये गलती , वरना हो जाएंगे परेशान

मोक्षदा एकादशी साल की अंतिम एकादशी है. इस बार यह 25 दिसंबर को पड़ेगी. मान्यता है कि यह एकादशी व्रत मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है, जिसके लिए कुछ नियमों का पालन जरूरी है.

 मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष एकादशी मोक्षदा एकादशी कही जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक मोक्षदा एकादशी व्रत के फल से व्रत रखने वालों के पूर्वज मोक्ष प्राप्त करते हैं और खुद व्रती स्वर्गलोक मिलता है. शास्त्रों में एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन जरूरी है, अन्यथा कभी इसका फल नहीं मिलता है.

एकादशी पर कोई भी पेड़-पौधा फूल या पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए. विष्णुजी की पूजा के लिए भी अगर तुलसी पत्ता चढ़ाने की जरूरत है तो उसे एक दिन पहले ही तोड़कर सुरक्षित रख लें.

एकादशी पर भोजन में चावल का उपयोग नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन चावल सेवन से मनुष्य सरीसृप योनि में जन्म लेता है. इस दिन जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली नहीं खानी चाहिए।

एकादशी के दिन मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन जैसी तामसिक भोज्य से दूर रहना चाहिए. इस दिन दूसरे व्यक्ति का दिया अन्न भी ग्रहण नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इससे व्रत करने वाले के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं.

शास्त्रों के अनुसार एकादशी पर किसी व्यक्ति की निंदा या गुस्सा नहीं करना चाहिए. वाद-विवाद से दूर रहें और गरीब और लाचार लोगों का उपहास बिल्कुल नहीं उड़ाना चाहिए.

एकादशी पर महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए, इससे व्रत का फल नहीं मिलता है. जो महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं, उन्हें जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है. इस दिन संयमित रहना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करें. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, इससे विशेष लाभ मिलता है.

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