सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के अंदर के मतभेद आए सामने, PPP ने PMLN पर बजट न देने का लगाया आरोप
पाकिस्तान में सियासी हलचल जारी है। यहां की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में सब कुछ सही नहीं होने की जानकारी लगातार सामने आ रही थीं। अब यह साफ भी हो गया है। सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के भीतर मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं। एक प्रमुख सहयोगी पीपीपी ने सत्तारूढ़ पीएमएल-एन पर वार्षिक बजट की तैयारी में उसके सुझावों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। साथ ही, उसने सवाल उठाया है कि क्या शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार अब भी उसके समर्थन को महत्व देती है।
समिति की बैठक में आपत्ति जताई
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने संसद में वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश करने से पहले पार्टी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई अपनी संसदीय समिति की बैठक में यह आपत्ति जताई। पीपीपी ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार पर वार्षिक बजट तैयार करते समय पार्टी से कोई जानकारी नहीं लेने का आरोप लगाया और आश्चर्य जताया कि क्या वह अब भी सहयोगी का समर्थन चाहती है।
सांसदों के प्रति अपनाया गया रवैया समस्या पैदा कर रहा
नेशनल असेंबली की सदस्य और पीपीपी की सूचना सचिव शाजिया मैरी ने संसदीय निकाय की बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि सांसदों ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याओं से नेतृत्व को अवगत कराया और विकास योजनाओं पर अपनी आपत्तियां व्यक्त कीं। उन्होंने पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली सरकार के व्यवहार पर पीपीपी की नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘संघीय सरकार द्वारा हमारे सांसदों के प्रति अपनाया गया रवैया हमारे सदस्यों के लिए समस्या पैदा कर रहा है, क्योंकि वे लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।’
हमारी राय नहीं ली गई
उन्होंने कहा, ‘बजट तैयार करने में हमारी पार्टी की राय नहीं ली गई। यहां तक कि संघीय पीएसडीपी (सार्वजनिक क्षेत्र विकास कार्यक्रम) में भी हमारी राय नहीं ली गई। हमने ऐसी स्थिति को रोकने की कोशिश की और पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने सरकार से संपर्क किया, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। हमें उम्मीद नहीं थी कि हमारी आवाज नहीं सुनी जाएगी।’ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में सोमवार को राष्ट्रीय आर्थिक परिषद (एनईसी) की बैठक में संघीय पीएसडीपी को चालू वर्ष के 950 अरब रुपये की तुलना में 47 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 1.4 ट्रिलियन रुपये करने को मंजूरी दी गई।