आज 50 साल के हो गए सीएम योगी, जानिए बचपन से सीएम बनने का सफर
सबसे बड़े सूबे यूपी के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ आज 50 साल के हो गए। आज उनका 50वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। पूरे प्रदेश अलग-अलग संगठनों अलग-अलग तरीके से तैयारी कर रखी है पर खास बात यह है कि सीएम योगी अपना जन्मदिन खुद नहीं मनाते।
आइए योगी के जन्मदिन पर जानते हैं कि बचपन से लेकर सीएम तक उनका सफर कैसा रहा।
उत्तराखंड के पंचुर के योगी आदित्यनाथ (तब अजय सिंह के नाम से जाने जाते थे)बताते हैं कि योगी बचपन से ही बहुत कुशाग्र और कर्मठ स्वभाव के थे। बाल्यकाल में ही उनका मन ज्ञान-विज्ञान के जटिल प्रश्नों को हर करने के साथ-साथ अध्यात्म की ओर भी झुकने लगा था।
उत्तराखंड के पंचुर में अपने भाई-बहनों के साथ योगी आदित्यनाथ। अपनी माता-पिता की सात संतानों में तीन बड़ी बहनों और एक बड़े भाई के बाद योगी आदित्यनाथ पांचवें थे। उनसे छोटे दो भाई हैं। योगी आदित्यनाथ ने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया है।
योगी आदित्यनाथ का नाम लोकसभा में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के सांसदों की सूची में भी शामिल है। गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। 1998 में वह पहली बार सांसद चुने गए। योगी आदित्यनाथ जब 12वीं लोकसभा में सांसद बनकर पहुंचे तब उनकी उम्र मात्र 26 साल थी। इसके बाद आदित्यनाथ 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी लगातार सांसद चुने जाते रहे। सितंबर 2014 में उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ के समाधि लेने के बाद वह गोरक्षपीठाधीश्वर बने। योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं। हिन्दू युवा वाहिनी एक सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी संगठन है।
मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ विजयदशमी पर दंडाधिकारी की भूमिका में रहते हैं। गोरखनाथ मंदिर में होने वाली पात्र पूजा में नाथ संप्रदाय के संतों की बकायदा अदालत लगती। अदालत में वह बतौर दंडाधिकारी संतों के आपसी विवाद भी सुलझाते हैं। साल1993 की बात है। गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान अजय सिंह बिष्ट (संन्यास ग्रहण करने के बाद उनका नाम योगी आदित्यनाथ पड़ा), गुरु गोरखनाथ पर शोध करने के लिए गोरखपुर आए। यहां रहते हुए वह तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आए। उनके तरुण मन पर महंत अवेद्यनाथ का काफी प्रभाव पड़ा। गोरक्षपीठाधीश्वर भी उनसे प्रभावित थे। 5 जून 1972 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ। उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर थे। उनकी माता का नाम श्रीमती सावित्री देवी है। 20 अप्रैल 2020 को उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट का निधन हो गया। योगी आदित्यनाथ संन्यासी होने के साथ-साथ जननेता हैं। यह तस्वीर गोरखपुर में हर वर्ष होली के मौके पर निकलने वाले परम्परागत भगवान नरसिंह शोभायात्रा की है। इस वर्ष कोरोना की वजह से सीएम इस शोभायात्रा में शामिल नहीं हुए थे लेकिन इसके पहले वह न सिर्फ इस शोभायात्रा में शामिल होते बल्कि नगर वासियों के साथ जमकर रंगों की होली भी खेलते थे।
इन मुद्दों पर लड़ी लड़ाई
सीएम बनने से पहले सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ सड़क से संसद तक लगातार सक्रिय दिखते थे। फिर चाहे वो कानून व्यवस्था का मुद्दा हो या इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी का। इंसेफेलाइटिस से 50 हजार से अधिक जानें जा चुकी थीं। सीएम बनने के बाद दस्तक अभियान के जरिए उन्होंने इंसेफेलाइटिस के खिलाफ अभियान छेड़ा। इस पर बीमारी पर काफी हद तक काबू पाया। संन्यासी बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ गेरुआ ही पहनते हैं। वह बेहद साधारण और सादगी से भरा जीवन जीते हैं। यह सादगी उनके कपड़ों से लेकर भोजन तक में दिखती है लेकिन उनकी लोकप्रियता ऐसी है कि कपड़ों के रंग गेरुआ का क्रेज भी बढ़ गया। उनके कार्यभार ग्रहण करने के बाद आम लोग भी गेरुआ शर्ट, टी-शर्ट और गमछा आदि का आदि का इस्तेमाल करते खूब नज़र आने लगे।
सांसद रहे हों या अब मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ युवाओं और बच्चों में जोश भरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। फिर चाहे क्रिकेट की पिच पर बल्ला थाम कर उतरना ही क्यों न पड़े। योगी का यह उत्साह युवाओं और बच्चों को लुभाता है। वे उनसे जुड़ते चले जाते हैं।
आदित्यनाथ प्रभावशाली मुख्यमंत्रियों की फेहरिस्त में सबसे आगे
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रभावशाली मुख्यमंत्रियों की फेहरिस्त में सबसे आगे हैं। वह प्रभावशाली व्यक्तियों की श्रेणी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर हैं। यह तथ्य फेम इंडिया मैगजीन द्वारा 50 प्रभावशाली भारतीयों की वर्ष 2020 के सर्वे में सामने आया है। योगी आदित्यनाथ अपनी कर्मठता, सादगी और ईमानदार नेता की छवि से विरोधियों के दिलों में भी कुछ हद तक जगह बनाने में सफल रहे हैं। हालांकि सियासी दंगल में उनकी छवि अक्रामक नेता की रही है। राजनीतिक लड़ाइयों जब कभी अवसर आता है वह तथ्यों और पूरी दृढ़ता के साथ अपनी बात रखते हैं।