शिवाजी की प्रतिमा गिरने की जांच और नई मूर्ति बनाने के लिए पैनल गठित; CM शिंदे का एलान

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने तटीय कोंकण के मालवन में सतरहवीं सदी के मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के कारणों की जांच और नई प्रतिमा के निर्माण के लिए एक तकनीकी समिति गठित कर दी है। समिति में इंजीनियर्स, आईआईटी विशेषज्ञ और नौसेना के अधिकारी शामिल हैं।

दरअसल, आधी रात के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से एक एक विज्ञप्ति जारी की गई। इसमें कहा गया कि सरकार ने योद्धा राजा की प्रतिष्ठा के अनुरूप एक भव्य प्रतिमा बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है। इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार रात दक्षिण मुंबई में अपने आधिकारिक आवास वर्षा में वरिष्ठ मंत्रियों, नौकरशाहों और नौसेना अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के बाद ही समिति गठित करने का फैसला लिया गया।

ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज
मामले में 35 फुट ऊंची मूर्ति के ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर लोक निर्माण विभाग की एक शिकायत के बाद दर्ज की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि मूर्ति का निर्माण घटिया गुणवत्ता का था। इसमें इस्तेमाल किए गए नट और बोल्ट जंग खाए हुए पाए गए।

26 अगस्त की दोपहर की घटना
इस मूर्ति का अनावरण 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इसके महज आठ महीने बाद ही 26 अगस्त की दोपहर को यह गिर गई थी। इस घटना को लेकर विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) ने महाराष्ट्र सरकार की तीखी आलोचना की है। वे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इससे पहले दिन में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस घटना के लिए राज्य के लोगों से माफी मांगी और दोषियों को दंडित करने की प्रतिबद्धता जताई।

कैबिनेट मंत्री के बयान पर बवाल
इससे पहले महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री दीपक केसरकर ने बुधवार को ‘छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा के गिरने से हो सकता है कि कुछ अच्छा हो’ वाले अपने बयान का बचाव किया। विपक्ष के निशाने पर आए केसरकर ने कहा कि उनका बयान का गलत मतलब निकाला गया। सिंधुदुर्ग के रहने वाले राज्य के शिक्षा मंत्री केसरकर ने कहा कि हम चाहते हैं कि सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाए, जो शिवाजी की नौसेना का तत्कालीन मुख्यालय था।

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